♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची : खोरठा के वरिष्ठ साहित्यकार शिवनाथ प्रमाणिक का कल 75 वर्ष की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया। डीएसपीएमयू के खोरठा भाषाविभाग में शोक सभा का आयोजन किया गया एवं उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा किया गया।
स्व. प्रमाणिक खोरठा साहित्य के प्रमुख स्तम्भ थे : डॉ बिनोद कुमार
शोकसभा की अध्यक्षता खोरठा भाषा विभाग के अध्यक्ष व टीआरएल संकाय के समन्वयक डॉ बिनोद कुमार ने की। उन्होंने कहा कि शिवनाथ प्रमाणिक खोरठा साहित्य के प्रमुख स्तंभ थे, जिन्होंने खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद का गठन करने के साथ-साथ बोकारो सहित पूरे खोरठांचल में खोरठा भाषा-साहित्य व संस्कृति के लिए जन जागरण चलाया। उन्होंने कहा – अपनी लेखनी से झारखंड आंदोलन को भाषाई आंदोलन का स्वरूप प्रदान करने में दिवंगत प्रमाणिक की भूमिका अहम रही। खोरठा भाषा, साहित्य व संस्कृति के संरक्षण व संवर्द्धन में प्रमाणिक जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने छात्रों से उनके सपनों को साकार करने की बातें कहीं।
झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति : डॉ अजय कुमार
सहायक प्राध्यापक डॉ अजय कुमार ने कहा कि शिवनाथ प्रमाणिक का निधन झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। वे खोरठा साहित्य के महान जनवादी, संस्कृतिवादी लेखक, कवि थे। प्रमाणिक जी खोरठा भाषा साहित्य के प्रमुख स्तंभ के रूप में थे, जिन्होंने अपनी लेखन शैली से खोरठा साहित्य को समृद्ध किया, साथ ही अपनी लेखनी से यहाँ की भाषा संस्कृति को जगाने का कार्य करते रहे। उनकी प्रमुख रचनाओं में मइछगंधा, दामोदरेक कोराञ, रुसल पुटुस, तातल आर हेमाल आदि प्रसिद्ध है। इस अवसर पर सहायक प्राध्यापिका सुशीला कुमारी एवं विभाग के छात्र-छात्राएं व शोधार्थी उपस्थित थे।