ब्रेकिंग न्यूज
♦ गम्हरिया उप डाकघर सीबीआई के रडार पर, एफआईआर के बाद हड़कंप
♦ सीबीआई की रांची आर्थिक अपराध शाखा कर रही है अनुसंधान
♦ भारत सरकार को करीब 21 लाख 50 हजार रूपये का नुकसान
♦आरएमएस धनबाद के डाक अधीक्षक व अन्य लाल घेरे में
• हिमांशु शेखर •
रांची : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले का गम्हरिया उप डाकघर पूरी तरह से सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के रडार पर आ गया है। नोटबंदी के दौरान डाक विभाग के कुछ अफसरों व कर्मचारी की आपसी सांठगांठ से बगैर केवाईसी के यहां खाते खोले गये। इस डाकघर में 8 नवम्बर-2016 के बाद प्रतिबंधित व अवैध घोषित किये गये नोटों को जमा कराया गया। इससे भारत सरकार को करीब 21 लाख 50 हजार रूपये का नुकसान हुआ है। इस दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और भारत सरकार के केवाईसी संबंधी दिशा-निर्देशों को भी दरकिनार कर दिया गया। सीबीआई को जब मामले की भनक लगी तो सीबीआई की टीम 7 अप्रैल-2017 को औचक निरीक्षक के लिए गम्हरिया उप डाकघर पहुंची। फिर पहली नजर में वहां कई गड़बड़ियां पकड़ी गयीं। 8 अप्रैल-2017 को सीबीआई की रांची आर्थिक अपराध शाखा ने आपराधिक षडयंत्र, छल और पद का दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 120-बी व 420 और पीसी एक्ट 1988 की धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज (संख्या- आरसी0932017ए0003) कर अनुसंधान शुरू की। इस सिलसिले में सीबीआई ने सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया डाकघर के पोस्टल असिस्टेंट सुरेन्द्र कुमार चांद, ग्रामीण डाक सेवक सोनू कुमार, आरएमएस धनबाद के डाक अधीक्षक बिरेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव और जमशेदपुर घाघीडीह सेन्ट्रल जेल के सुधीर चन्द्र झा सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
सीबीआई की एफआईआर रिपोर्ट के मुताबिक गम्हरिया उप डाकघर में नोटबंदी के दौरान गैर कानूनी व प्रतिबंधित घोषित हो चुके नोटों को मूल्यवान प्रतिभूति में बदलने के लिए बगैर केवाईसी के नये खाते खोले गये। 9 नवम्बर-2016 से 30 दिसम्बर-2016 की अवधि के बीच वहां से राशि की निकासी भी की गयी। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि औचक निरीक्षण के दौरान सीबीआई को पता चला कि सुरेन्द्र कुमार चांद गम्हरिया उप डाकघर में सब-पोस्टमास्टर के पद पर पदस्थापित थे और बतौर प्रभारी काम कर रहे थे। श्री चांद और ग्रामीण डाक सेवक सोनू कुमार ने खाताधारकों के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र के तहत बगैर केवाईसी के खाते खुलवाये। इसी कड़ी में गम्हरिया उप डाकघर में आरएमएस धनबाद के डाक अधीक्षक बिरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का 17 नवम्बर- 2016 को खाता (संख्या -648978 ) खोला गया। फिर उनके नाम से दो लाख रूपये टर्म डिपोजिट किये गये। 17 नवम्बर- 2016 को ही बिरेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव की पत्नी सरिता श्रीवास्तव के नाम से खाता खोलकर (संख्या-648977) 18 नवम्बर और 23 नवम्बर-2016 को क्रमशः दो लाख और एक लाख 70 हजार रूपये जमा कर टर्म डिपोजिट किये गये। प्रिया श्रीवास्तव के नाम से भी उक्त तिथि को ही खाता ( संख्या-648976) खोला गया । उसमें भी दो लाख और एक लाख सत्तर हजार रूपये जमा कर टर्म डिपोजिट किये गये। इसी प्रकार ललीता देवी (खाता संख्या- 648985) और संतोष पंडित (खाता संख्या-648984) के नाम से भी नये खाते 23 नवम्बर-2016 को खोलकर उसमें क्रमशः दो लाख और दो लाख 76 हजार 24 रूपये जमा कराये गये। बाद में अलग-अलग तिथियों को राशि की निकासी भी की गयी। सीबीआई की एफआईआर रिपोर्ट में कहा गया है कि संतोष पंडित और ललीता देवी के खोले गये नये खाते में बिरेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव के द्वारा ही राशि दी गयी थी। पूर्व में बिरेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव जमशेदपुर मुख्य डाकघर में सीनियर पोस्ट मास्टर थे। सीबीआई की एफआईआर रिपोर्ट में अभिलाषा भारती के नाम का भी जिक्र है। इस बारे में कहा गया है कि अभिलाषा भारती के नाम से खाता संख्या 648983 में जमा राशि से सब-पोस्ट मास्टर सुरेन्द्र कुमार चांद द्वारा अनुपम कुमार श्रीवास्तव और श्रीमती सरिता श्रीवास्तव के नाम छलपूर्वक एनएससी खरीदने की इजाजत दी गयी। सीबीआई ने एफआईआर में संयुक्त खाता संख्या -648982 श्रीमती कुमकुम देवी और सुधीर चन्द्र झा के नाम से खोलने की बात कही है। इस बारे में बताया गया कि 9 लाख रूपये की राशि जमाकर बाद में उसे नोटबंदी के दौरान ही एमआईएस (मंथली इनकम स्कीम) में तब्दील कर दिया गया।