झारखंड के लिए 1 लाख 28 हजार 900 सौ करोड़ का बजट पेश, सत्तापक्ष ने सराहा, विपक्ष का वॉक आउट

♦HIMANSHU/BIRENDRA♦
रांची : झारखंड का बजट विधानसभा में पेश कर दिया गया। सत्ता पक्ष ने जहां इस बजट की सराहना की है और कहा है कि यह बजट हरवर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया है और इससे राज्य के विकास को एक नयी दिशा मिलेगी। दूसरी ओर विपक्ष ने इसे कागज का पुलिंदा करार दिया है। बहरहाल झारखंड सरकार की ओर से वित मंत्री रामेश्वर उरांव ने मंगलवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 1,28,900 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। वित्तीय वर्ष 25 के लिए बजटीय अनुमान पिछले वार्षिक वित्तीय विवरण से 10 फीसदी से अधिक था। झामुमो के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 1.16 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था।
वित्त मंत्री की तरफ से 1 लाख 28 हजार 900 सौ करोड़ का बजट पेश किया गया है। रामेश्वर उरांव पांचवी बार बजट पेश कर रहे हैं. सरकार की तरफ से किसानों के लिए बड़ी घोषणा की गई है। किसानों की ऋण माफी को 50 हजार से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही एनपीए खाता धारक किसानों को भी इस योजना में शामिल किया गया है।

बजट में 3.7 का इजाफा
पिछले साल के मुकाबले इस साल झारखंड के बजट में 3.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल वित्तीय वर्ष का बजट 1 लाख 16 हजार 418 करोड़ रुपये था. साल 2024-25 में राजस्व व्यय के लिए 91 हजार 832 करोड़ रखे गए है। इस साल आर्थिक विकास दर 7.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. साल 2024-25 में इसमें 11.18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा सकती है। इसके साथ ही 2030 तक 10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

इसके साथ वित मंत्री ने राजस्व आय 53 हजार 500 करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है. इसमें कर राजस्व से 34 हजार 200 करोड़ प्राप्त होने का अनुमान है तो वहीं गैर राजस्व से 19 हजार 301 करोड़ तो वहीं केंद्रीय सहायता से 16 हजार 961 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है।

विपक्ष का वॉक आउट
वहीं सदन में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के बजट पढ़ने से ही विपक्ष ने बहिष्कार किया और सदन के बाहर जाकर नारेबाजी की। इसको लेकर वित्त मंत्री की तरफ से कहा गया कि इनमें भाषण सुनने की आदत नहीं है। इसके साथ उन्होंने विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी सरकार थी, तब प्रदेश के गरीबों को माड़ भात खिलाते थे। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जब सरकार बनी तो चावल के साथ दाल भी गरीबों को मिली।

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