रांची विश्वविद्यालय के 37वें दीक्षांत समारोह में 76 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल

♦ छात्राओं ने सबसे अधिक 41 गोल्ड मेडल हासिल किये
भारतीय परिधानों में आये 4043 छात्रों को मिली उपाधि
कुलाधिपति ने छात्रों से कहा, आप युवा विकसित भारत -2047 का सपना पूरा करेंगे।                                                                           ♦केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, दीक्षांत समारोह अपनी बौद्धिक क्षमता से दुनिया को रू-ब-रू कराने का भी अवसर।
रांची विवि के कुलपति प्रो. डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला झारखंड का प्रथम विश्वविद्यालय।


♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची : रांची विश्वविद्यालय का 37वां दीक्षांत समारोह मोराबादी परिसर स्थित दीक्षांत मंडप में मनाया गया। बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल सह कुधाधिपति डॉ. सी.पी. राधाकृष्णन और विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कृषि और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने पारंपरिक भारतीय परिधान में आये छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल और उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया। अन्य छात्रों को कुलपति ने उपाधि प्रदान की। दीक्षांत समारोह में कुल 4043 छात्रों को उपाधि दी गयी।
विकसित भारत के लिए युवाओं क भूमिका अहम : राज्यपाल
मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यपाल सह कुलाधिपति डॉ. सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा- भारत के युवा अपने ज्ञान के बल पर विश्वभर में हर जगह अपना स्थान बनाये हुए हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि रांची विश्वविद्यालय के आप युवा अपने माता पिता, झारखंड और देश का नाम रौशन करेंगे। उन्होंने डॉ. कलाम की बातों का उल्लेख करते हुये कहा कि आप छात्र अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट होने के बजाय आगे निरंतर बड़े लक्ष्यों को तय कर उसके लिये प्रयासरत रहें तभी हम 2047 में विकसित भारत का सपना पूरा करेंगे।
रांची विवि के नाम नहीं बदलेगा : अर्जुन मुंडा
विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय कृषि और जनजातीय कार्य मंत्री ने अर्जुन मुंडा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा- दीक्षांत समारोह का मूल उद्देश्य हमें अपनी बौद्धिक क्षमता से विश्व को रू-ब-रू कराना भी है। 2047 में हमें विकसित भारत बनाना है हमें अभी से ही भविष्य की जरूरतों के लिये योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में सीबीएसई के 740 प्लस टू विद्यालय खोले जायेंगे। उन्होंने कहा कि रांची विश्वविद्यालय झारखंड में शिक्षा , जनजातीय भाषा से लेकर प्रत्येक क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई बार झारखंड के इस सबसे पुराने विश्वविद्यालय का नाम बदलने का भी प्रस्ताव आया पर मैने मना कर दिया क्योंकि रांची और रांची विश्वविद्यालय का अपना एक अलग ही स्पंदन है। उन्होंने सबों को इस अवसर पर शुभकमनायें दी।इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष झा, डेप्टी र्राजस्द्रार डॉ प्रीतम कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ सुदेश साहू, कुलानुशासक डॉ मुकुंद मेहता, सीसीडीसी डॉ प्रकाश झा सहित विभिन्न विभागों, कॉलेजों के प्राचार्य, हेड, डीन, निदेशक, प्राध्यापक छात्र उपस्थित थे।
समाज के प्रति छात्रों की जिम्मेवारी बढ़ी : कुलपति
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये प्रतिबद्ध है। रांची ,खुंटी, सिमडेगी, गुमला, लोहरदगा जिलों में उच्च शिक्षा के दायित्वों को रांची विश्वविद्यालय पूरा कर रहा है। रांची विश्वविद्यालय झारखंड का पहला विश्वविद्यालय है जिसने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है। छात्रों की सुविधा के लिये कई सारे कॉमन सर्विस सेंटर खोले गये हैं, उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे छात्रों से कहा कि यह अवसर उपलब्धि के साथ ही आगे राज्य, राष्ट्र, समाज के लिये प्रतिदान देने की जिम्मेवारी भी है।
दीक्षांत समारोह कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव रांची विश्विद्यालय डॉ. बी. नारायण तथा डिप्टी डायरेक्टर वोकेशनल डॉ. स्मृति सिंह ने किया।

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