डोरंडा कॉलेज : चंपारण सत्याग्रह के सौ वर्ष, गांधी की भूमिका याद की गयी

रांची : चंपारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर शनिवार को डोरंडा कॉलेज में ‘चंपारण सत्याग्रह की पृष्ठभूमि एवं वर्तमान परिस्थितियाँ’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गयी।

किसानों के शोषण के खिलाफ आवाज थी : कुलपति

बतौर मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि महात्मा गांधी ने चम्पारण सत्याग्रह के जरिये चंपारण के किसानों के शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की थी। यह शान्तिपूर्ण एवं अहिंसक आन्दोलन था। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन में चंपारण के किसानों को नील की खेती करने के लिए यातनाएं दी जाती थीं। पूरा चंपारण अंग्रेजो के जुल्म से तंग आ चुका था। उन्होंने रांची विश्वविद्यालय में शीघ्र ही गाँधी अध्ययन केंद्र खोलने भरोसा दिया।

चंपारण सत्याग्रह एक जनआन्दोलन था : जस्टिस डीके सिन्हा

विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त जस्टिस डीके सिन्हा ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह को देश का अंग्रेजो के खिलाफ पहला आन्दोलन माना गया है। उन्होंने चंपारण सत्याग्रह की पृष्ठभूमि पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि चंपारण सत्याग्रह एक जनआन्दोलन था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में चंपारण के किसानों ने भाग लिया। अंग्रेजों के खिलाफ यह महात्मा गाँधी का पहला सफल आन्दोलन साबित हुआ।

महात्मा गांधी के लिए चंपारण प्रयोग भूमि थी : शशिकांत झा

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता चंपारण के वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार एवं शिक्षाविद् शशिकान्त झा ने कहा कि महात्मा गाँधी के लिए चंपारण एक प्रयोग भूमि रही एवं उनके नेतृत्व में चंपारण के किसानों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ असरदार आन्दोलन चलाया एवं पूरे देश में चंपारण सत्याग्रह की चर्चा हुई। उन्होंने चंपारण सत्याग्रह पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि चंपारण के प्रमुख किसान नेता पंडित राजकुमार शुक्ल ने चंपारण के किसानों के शोषण एवं दमन के विरुद्ध मोहन दास करमचंद गाँधी को 17 फरवरी 1917 को पत्र लिखा एवं चंपारण बुलाया था और गांधी 17 अप्रैल 1917 को चंपारण पहली बार आये।उन्होंने कहा कि मोहन दास करमचंद गाँधी को महात्मा की उपाधि चंपारण सत्याग्रह में ही मिली।

आंदोलन की धरती रही है चंपारण : गुरुशरण प्रसाद

राष्ट्रीय सेवा भारती के राष्ट्रीय सह सचिव गुरुशरण प्रसाद ने कहा कि चंपारण की धरती आन्दोलन की धरती रही है।उन्होंने चंपारण सत्याग्रह की भूमिका पर बोलते हुए कहा कि देश में आजादी के लिए पहला आन्दोलन चंपारण की धरती से ही प्रारंभ हुआ एवं उसके बाद पूरे देश में आन्दोलन चलने लगा ।

जाति व धर्म से परे था चंपारण सत्याग्रह : डॉ एम आलम

रांची के प्रसिद्ध शल्य चिकित्सक डॉ एम आलम ने कहा कि मैं चंपारण से हूँ एवं वहां के किसानों ने जाति, धर्म से ऊपर उठकर चंपारण सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी एवं वहाँ के उर्वरा भूमि ने जनान्दोलन का रूप दिया। संगोष्ठी में ही भाषण प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियो को अतिथियों ने पुरस्कृत भी किया ।

इन लोगों ने भी रखे अपने विचार

संगोष्ठी को पत्रकार श्रीनिवास, मधुकर, रविप्रकाश, डॉ लियोन एन्थनी सिंह, अनगड़ा बीडीओ जेके मिश्रा ,डॉ रितेश कुमार, डॉ उमाशंकर शर्मा, डॉ पूनम कुमारी, डॉ जेबा, डॉ मंजू मिन्ज, डॉ एम रहमान, डॉ शशिबाला श्रीवास्तव, डॉ रजनी टोप्पो ,निफ्ट के उप कुलसचिव एसएस अख्तर, डॉ डीएन तिवारी, संजय मिश्रा, डॉ हिमालय झा सहित कई गणमान्य लोगों ने संबोधित किया । संगोष्ठी की अध्यक्षता कॉलेज के प्रचार्य डॉ वीएस तिवारी ने की। विषय प्रवेश चंपारण मित्र मंडली के संयोजक पत्रकार विनय चतुर्वेदी और संगोष्ठी का संचालन आयोजन सचिव डॉ ब्रजेश कुमार, स्वागत भाषण डॉ नीलू सिंह और धन्यवाद ज्ञापन मोहम्मद सरफराज ने किया ।

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