रांची : शहीद तेलंगा खड़िया को उनके शहादत दिवस पर रविवार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। रांची के नामकुम स्थित हाईटेंशन मैदान में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। उनके बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया गया। वक्ताओं ने कहा कि शहीद तेलंगा खड़िया की वीरता और बलिदान आनेवाली पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए 23 अप्रैल 1880 को गुमला के सिसई में वह शहीद हो गये थे। 9 फरवरी 1806 को गुमला के सिसई अंतर्गत मुरगू गांव में उनका जन्म हुआ था। वह महान स्वतंत्रता सेनानी थे। अंग्रेजों द्वारा किये गये शोषण और जुल्म के खिलाफ उन्होंने आवाज बुलंद की थी।
शहीदों की वजह से हुए आजाद
तेलंगा खड़िया के शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ सुशीला केरकेट्टा ने कहा कि हमें शहीदों को नहीं भूलना चाहिए। उनकी शहादत की वजह से ही हम आजाद हैं।
अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाके तैयार किये : अंजलुस
अंजलुस इंदवार ने कहा कि तेलंगा खड़िया ने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जूरी पंचायत का गठन कर उसमें 1500 सौ से अधिक लडा़के को शामिल किया। तेलंगा खड़िया के नेतृत्व में इन लड़ाकों ने अग्रेजों को कांपने पर मजबूर कर दिया।
शहीदों को सम्मान दे सरकार : राजू महतो
राजू महतो ने कहा कि सरकार झारखंड के शहीदों को सम्मान दे। तेलंगा खड़िया के शहादत दिवस पर राजकीय अवकाश घोषित करने की उन्होंने मांग की।
शहीदों का जीवन संघर्ष पाठ्यक्रमों में शामिल हो : प्रो वंदना राय
प्रो वन्दना राय ने कहा कि शहीदों का जीवन संघर्ष स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए। इससे शहीदों की वीरता की जानकारी बच्चों को मिलेगी। उन्होंने कहा कि तेलंगा खड़िया की शहादत यह देश हमेशा याद रखेगा। उन्होंने मांग की कि झारखंड में शहीदों के नाम से चौक-चौराहे का नामाकरण होना चाहिए।
कई लोग थे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी चन्द्र किशोर केरकेट्टा और धन्यवाद ज्ञापन प्रो जुवेल सोरेंग ने किया। इस मौके पर प्रो बंधु भगत ,प्रो मेरी एस सोरेंन,जोगी भगत, कुलभूषण डुंगडुंग ,निरंजना टोप्पो, मंगला कुल्लू , सुकरू खड़िया ,गांधी बिलूंग , सोमरा, एफ्रेंम बारू ,बसिल किड़ो सहित कई लोग मौजूद थे।