♦बीरेन्द्र कुमार महतो♦
रांची : रांची के विभिन्न सड़कों पर पुरुषों का वेश धारण कर जनजातीय महिलाओं द्वारा जनी शिकार के नाम पर पालतू पशुओं को पकड़ कर उनका शिकार किया जा रहा है। महिलाओं के इस रवैये से लोगों में खास आक्रोश है। लोगों ने कहा कि जनी शिकार के नाम पर वह अपने पशुओं और मुर्गियों की बर्बादी नहीं देख सकते हैं। हालांकि जानकार लोग बताते हैं कि जनी शिकार पहले जंगल में किया जाता था, लेकिन जंगलों का दायरा अब सीमित रह गया है। गौरतलब है कि जनी शिकार पर्व प्रत्येक 12 वर्ष पर मनाया जाता है। जनी शिकार की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बताया जाता है कि यह परंपरा रोहतासगढ़ के सिनगी दई नामक वीरांगना द्वारा पुरुष का वेश बनाकर अपने गढ़ बचाने के लिए लाव लश्कर के साथ युद्ध में विजय प्राप्त करने की याद में मनाई जाती है। इसमें आदिवासी महिलाएं पुरुष के पोशाक में जनी शिकार के लिए निकलती हैं।
जनी शिकार में निकली महिलाओं को रास्ते में जो भी जानवर बकरी, सुअर, मुर्गा, खस्सी आदि मिलता है , उसका वे शिकार कर लेती है ,परंतु ऐसा करने से जानवरों के मालिकों से अब उनकी दुश्मनी होने लगी है।