बीजिंग/नई दिल्ली : भारत के कदम से चीन सकते में है। चीन की राजधानी बीजिंग में आज से दो दिवसीय हाई प्रोफाइल बेल्ट एंड रोड (वन बेस्ट, वन रोड या ओबीओआर) समिट शुरू हो रही है। इस समिट में भारत ने शामिल नहीं होने का फैसला लेकर चीन को तगड़ा झटका दिया है। इसकी वजह इस इनीशिएटिव के फ्लैगशिप प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर भारत की संप्रभुता संबंधी चिंताएं हैं। इस कॉरिडोर निर्माण का भारत शुरू से ही विरोध कर रहा है। समिट में भाग नहीं लेने के फैसले को भारत की तरफ से बेहद सख्त रुख माना जा रहा है, क्योंकि बीते कुछ दिनों में चीन, अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों को राजी करने में कामयाब रहा है।
14-15 मई को होने वाली समिट में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन सहित 29 देशों और सरकारों के प्रमुख भाग लेंगे। इसमें भाग लेने वाले दूसरे देशों में दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन शामिल हैं। भले ही चीन को इसके लिए बड़े स्तर पर डिप्लोमैटिक लॉबिंग करनी पड़ी हो, लेकिन भारत के अलावा कोई ऐसा देश नहीं है जिसकी वन बेल्ट एंड वन रोड पहल से संप्रभुता से जुड़ी कुछ आशंकाएं हैं।
संप्रभुता का उल्लंघन करने वाली परियोजना मंजूर नहीं : भारत
भारत बीजिंग में आज से शुरू हो रहे चीन के बेल्ट एंड रोड फोरम (बीआरएफ) का बहिष्कार करेगा। इस तरह के स्पष्ट संकेत वाला एक आधिकारिक बयान शनिवार रात जारी किया जिसमें कहा गया है कि भारत ऐसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता हो।भारत की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर गहरी आपत्ति है। सीपीईसी चीन की विशिष्ट बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) के पहल की महत्वपूर्ण परियोजना है। दो दिवसीय बैठक में इस परियोजना के प्रमुखता से उठने की संभावना है। सीपीईसी गिलगिट और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बालटिस्तान से होकर गुजरता है। भारत पीओके सहित समूचे जम्मू कश्मीर राज्य को अपना अखंड हिस्सा मानता है।