रांची विवि के टीआरएल विभाग में मनायी गयी वीर बुधू भगत की जयंती,वक्ताओं ने कहा- आंदोलनों की धरती रही है झारखंड

♦Dr BIRENDRA KUMAR MAHTO♦

रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में सोमवार को लरका आंदोलन के प्रणेता अमर शहीद वीर बुधू भगत की 229वीं जयंती मनायी गयी।
महानायक थे वीर बुधू भगत: डाॅ हरि उरांव

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हरि उराँव ने वीर बुधू भगत की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोल आंदोलन के जननेता शहीद बुधू भगत अंग्रेजों के चापलूस जमींदारों व दलालों के खिलाफ भूमि, वन की सुरक्षा के लिए जंग छेड़ी थी। सन 1831-32 में हुए कोल विद्रोह के अगुवा वीर बुधू भगत का आमलोगों पर जबर्दस्त असर था। उन्होंने कहा , वीर बुधू भगत को दैवीय शक्तियां प्राप्त थी, जिसके प्रतीक स्वरूप एक कुल्हाड़ी वह हमेशा अपने साथ रखते थे। लोग उनके एक इशारे पर अपनी जान तक कुर्बान कर देने के लिए तैयार रहते थे। शहीद वीर बुधू भगत एक महानायक थे।
इतिहास में वीर सपूतों के साथ न्याय नहीं किया गया: डाॅ डॉ उमेश नन्द तिवारी
प्राध्यापक डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा, सदियों से झारखंड वीरों की भूमि रही है। वीर बुधू भगत ने जाति धर्म की नहीं बल्कि विचारधारा के विरुद्ध संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि देश में शुरू हुए हरेक आन्दोलनों की अगुवाई और उसकी बुनियाद इसी पावन धरती पर रखी गयी। परन्तु इतिहास में हमारे झारखंड के वीर सपूतों के साथ न्याय नहीं किया गया। हमेशा उन्हें दरकिनार ही रखा गया।
कार्यक्रम में प्राध्यापक धीरज उराँव, युगेश कुमार महतो एवं अन्य ने अपने अपने विचार व्यक्त किये। मौके पर पुलवामा के शहीदों के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
इनकी भी रही मौजूदगी
इस मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के प्राध्यापक किशोर सुरीन, करम सिंह मुंडा, डॉ राम कुमार, नरेंद्र कुमार दास, रमाकांत महतो, बीरेन्द्र उराँव, राधिका उराँव, मनोज कच्छप, शोधार्थी विजय साहु, बसंत कुमार, पप्पू बांडों, प्रभा हेमरोम, बसंती देवी के अलावा कई अन्य सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र छात्राएँ मौजूद थे।

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