आदिवासियों पर ‘सिकल सेल अनीमिया’ का कहर

‘सिकल सेल अनीमिया’ जैसी रक्तविकार से जुड़ी अनुवांशिक बीमारी जनजातीय समुदाय के अस्तित्व के सामने लगातार चुनौती पेश कर रही है। छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड के आदिवासी इस बीमारी से सबसे अधिक पीड़ित हैं। बताया यह जा रहा है कि झारखंड में कुल जनजातीय आबादी की दस फीसदी जनसंख्या ‘सिकल सेल अनीमिया ’की चपेट में है। लहरन्यूज डाट कॉम लिए हिमांशु शेखर की रिपोर्ट –

    रांची : झारखंड के दूर और जंगल से घिरे एक गांव के रहने वाले एतवा रांची में रहकर मजदूरी करते हैं। उनकी कमाई की हर बूंद में मेहनत का पसीना पिघलता हुआ दिखता है। लेकिन बच्चे उसके घर में जन्म लेते हैं तो खुशी कहीं आसपास भी घुमती- फिरती नहीं दिखती है। परिवार के सभी सदस्य सहमे हुए दिखते हैं, एक ऐसी बीमारी के नाम से जो पूर्वजों से मिली है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी उसके किसी न किसी सदस्य को अपना शिकार बना रही है। इस अनुवांशिक बीमारी का नाम है- ‘सिकल सेल अनीमिया’। यह बीमारी आमतौर पर जनजातीय लोगों को ही अपना शिकार बनाती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च सर्वे- 2014 के अनुसार झारखंड में जनजातीय समुदाय के ऐसे 64837 लोगों की पहचान की गयी, जो ‘सिकल सेल अनीमिया’ से पीड़ित थे। हालांकि राज्य सरकार के अनुमान के मुताबिक झारखंड में कुल जनजातीय आबादी के दस फीसदी लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। झारखंड की जनजातीय आबादी करीब 86 लाख है। ऐसे में आठ लाख से अधिक आबादी ‘सिकल सेल अनीमिया’ की गिरफ्त में हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सिकल सेल अनीमिया’ के खिलाफ चलाए जा रहे राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा झारखंड भी है। प्रधानमंत्री की पहल पर जापान भी इस बीमारी के खिलाफ भारत की सहायता कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने जापान दौरे के क्रम में वहां के वैज्ञानिकों से मिल कर इस बीमारी से निबटने के लिए सहायता का अनुरोध किया था, ताकि जनजातीय लोगों को ‘सिकल सेल अनीमिया’ की चपेट में आने से रोका जा सके। छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड ऐसा राज्य है, जहां सिकल सेल से सबसे अधिक प्रभावित जनजातीय लोग हैं। छत्तीसगढ़ में दस लाख, ओडिशा में छह लाख सहित भारत के अन्य राज्यों में रहने वाले जनजातीय लोगों की एक बड़ी संख्या इस बीमारी से पीड़ित है।

क्या है ‘सिकल सेल अनीमिया’

‘सिकल सेल अनीमिया’ रक्त विकार से जुड़ी एक गंभीर अनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी में हसुंआ के आकार जैसी लाल रक्त कोशिकाएं विकसित होने लगती है। सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं डिस्क के आकार जैसी होती हैं और रक्त कोशिकाओं में सुगमता से संचार करती हैं। सिकल सेल होने के बाद लाल रक्त कोशिकाओं में हिमोग्लोबिन वहन करने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे रक्त की कमी के लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। अंततः पीड़ित व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।

बीमारी के लक्षण

‘सिकल सेल अनीमिया’ के बारे में बताया जाता है कि इसे ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन उपचार सहायक हो सकता है। बीमारी से पीड़ित लोगों की आयु भी कम हो जाती है। बीमारी लंबे समय तक या आजीवन रह सकती है। संक्रमण, थकान, दर्द इसके खास लक्षण हैं। उपचार में दवाएं, रक्त चढ़ाना और बोन मैरो ट्रांप्लांट इत्यादि की चिकित्सक सहायता लेते हैं।

One thought on “आदिवासियों पर ‘सिकल सेल अनीमिया’ का कहर”

  1. प्रतिबद्ध लोगों की टीम क्या कमाल कर सकती है आने वाला वक्त बताएगा,मेरी शुभकामनाएं।

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