♦Dr Birendra Kumar Mahto♦
रांची : रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनायी गयी। मौके पर सबों ने भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक किशोर सुरीन और धन्यवाद डॉ सुबास साहु ने किया।
खड़िया और हो भाषाओं में कविता पाठ
खड़िया विभाग के अध्यक्ष डॉ मेरी एस सोरेंग ने भगवान बिरसा मुंडा पर लिखी खड़िया गीत “उलिहातु खोड़ी ते जोरमेकिम बिरसा मुंडा“ तथा हो भाषा की प्राध्यापिका डॉ सरस्वती गागराई ने भगवान बिरसा मुंडा के संघर्षशील जीवन पर आधारित हो भाषा में “आदिवासी वीर बियर अबा बिरसा“ कविता का पाठ किया।
बिरसा मुंडा अपने कर्मो से भगवान कहलाये : डॉ हरि उरांव
अध्यक्षता करते हुये टीआरएल विभाग के समन्वयक डॉ हरि उरांव ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा ने समाज में फैले जुल्म, शोषण और अत्याचार से हम झारखंड वासियों को मुक्त कराया। उनके जीवन से प्रेरित होकर पूरे देश में आज आदिवासी गौरव दिवस मनाया जा रहा है। अपने कार्यों के बल पर वह आज हम सबों के भगवान हैं। उन्होंने कहा कि महज पच्चीस साल जीने वाले बिरसा का संघर्ष काल सिर्फ पाँच साल का रहा। लेकिन इस छोटे से समय में उन्होंने अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ जिस तरह से मोर्चा संभाला, उसने उन्हें सदा के लिए अमर कर दिया।
बिरसा मुंडा ने समाज को दी नयी दिशा : डॉ यूएन तिवारी
प्राध्यापक डॉ उमेश नन्द तिवारी ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि व्यक्ति जन्म से नहीं बल्कि कर्म से महान होता है। बिरसा मुंडा ने कम उम्र में ही समाज को एक नयी दिशा प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि काश! धरती आबा बिरसा मुंडा जैसा कोई होता, जो आदिवासियों की समस्याओं को सिर्फ महसूस ही नहीं करता, बल्कि उनका हल भी निकालता।
बिरसा ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया : डॉ राकेश किरण
कुरमाली भाषा के प्राध्यापक डॉ राकेश किरण ने भगवान बिरसा मुंडा के द्वारा किये गये कार्यो की चर्चा करते हुये कहा कि भगवान बिरसा मुंडा बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनके कार्यो की सराहना आज पूरी दुनिया में हो रही है। झारखंड के इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसा नाम है, जिसका जिक्र भर करने से वहां के लोगों की आंखें चमक उठती हैं। युवा उन्हें न केवल अपना आदर्श बताते हैं, बल्कि मानते भी हैं। उन्होंने न सिर्फ़ अंग्रेजों का डटकर सामना किया, बल्कि लगान वापसी जैसी बातों को मानने के लिए उन्हें मजबूर किया।
समाज को जागरूक किया : करम सिंह मुंडा
मुंडारी विभाग के प्राध्यापक करम सिंह मुंडा ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने आदिवासी और मूलवासी समाज को जागरूक करने का काम किया।
बिरसा के संघर्ष से प्रेरणा मिलती है : डीके दिनमणि
खोरठा भाषा के प्राध्यापक दिनेश कुमार दिनमणि ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा झारखंडी चेतना के एक विकास पुंज थे। उनके संघर्ष से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है. समन्वय की संस्कृति स्थापित कर धरती आबा के अधूरे सपनों को पूरा करना होगा.
बिरसा के संघर्ष की चर्चा की
प्राध्यापक अमित अरूण तिग्गा ने धरती आबा बिरसा मुंडा के संघर्षों को विस्तार से बताया और कहा कि उनके संघर्षपूर्ण जीवन को अपने जीवन में उतारें।योगेश कुमार प्रजापति ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा हम झारखंड वासियों के तारणहार के रूप में इस पावन धरती पर आये थे। रचना होरो ने कहा कि हमें धरती आबा के बताये रास्ते पर चलना होगा। अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने का संकल्प लेना होगा। इसके अलावा हो भाषा के प्राध्यापक गुरूचरण पूर्ति, शरत कुमार माझी ने भी अपने विचार व्यक्त किया।
इनकी रही मौजूदगी
इस अवसर पर प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, गुरूचरण पूर्ति, डॉ उपेन्द्र कुमार, जोहे भगत, अरूण अमित तिरंगा, अलबिना जोजो, योगेश प्रजापति, बसंत कुमार, सुरेश कुमार महतो, पप्पु बांडों, धरमा मुंडा के अलावा अन्य प्राध्यापक गण एवं शोधार्थी उपस्थित थे।