♦Dr BIRENDRA KUMAR MAHTO♦
रांची : झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में आज दूसरे दिन भी महाधरना कार्यक्रम जारी रहा। आज विभिन्न जिलों से आए झारखंड आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार पर आंदोलनकारियों की उपेक्षा का आरोप लगाया और जबर्दस्त प्रदर्शन किया।
सरकार के रवैये के प्रति आक्रोश : राजू महतो
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संघर्ष मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि झारखंड आंदोलन के कोख से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पैदा हुए हैं उनके दर्द को नहीं जान पाना विडंबना है। आज पूरे राज्य में आंदोलनकारियों में सरकार की सोच और नीति को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। जिन आंदोलनकारियों ने केंद्र की सरकार को एवं अखंड बिहार की तत्कालीन सरकार को झुकाने का काम किया वह फिर एक बार फिर हुल और उलगुलान की तैयारी में पूरी मुस्तैदी के साथ हैं।
सरकार को खमियाजा भुगतना पड़ेगा : आजम अहमद
मोर्चा के वित्त अध्यक्ष आजम अहमद ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के लिए मर मिटने वालों की पहचान नहीं कर पाना दुर्भाग्य की बात है। मौके पर केंद्रीय सचिव सरजीत मिर्धा ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड आंदोलनकारियों के हौसले व इरादों को कम करके आंकने की भूल कर रही है, इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा, जब आंदोलनकारी अपने वजूद की रक्षा के लिए ईंट से ईंट बजा देंगे।
झारखंड आंदोलनकारियों के बारे में बहुत कुछ लिखना है : डॉ अनुज सिन्हा
झारखंड आंदोलनकारी एवं पत्रकार डॉ अनुज कुमार सिन्हा आंदोलनकारियों के कार्यक्रम में आये और अपनी भावनाओं से अवगत कराया। झारखंड आंदोलनकारी राज्य के दस्तावेजी प्रमाण हैं, जिनके संघर्ष से लेकर शहादत तक के इतिहास जितने लिखे जाएं कम हैं। आज भी मैं झारखंड आंदोलनकारियों का इतिहास लिखने के ख्याल से यहां आया हूं और मुझे झारखंड आंदोलनकारियों के इतिहास लिखने में बड़ा गौरव महसूस होता है। मुझे अभी झारखंड आंदोलनकारियों के बारे में बहुत कुछ लिखना है।
इनकी भी रही मौजूदगी
स्वागत भाषण प्रदेश प्रवक्ता पुष्कर महतो, संचालन जिला अध्यक्ष कुमोद कुमार वर्मा व धन्यवाद ज्ञापन केंद्रीय सचिव अशोक कुमार ने किया। कार्यक्रम में झारखंड आंदोलनकारियों में लखन महतो ,मौलाना इसराइल खालिद, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, कमरुद्दीन खान, रंजीत टोपो, रंजन बाड़ा विनीता अल्पना खलखो, एरेन कच्छप, लॉलेन टोप्पो, गोपाल गुप्ता, भुनेश्वर महली आदित्य मिश्रा,संजय कुमार गोस्वामी, प्रताप महाले महादेव राव शिबू को जोर जीवन को जोर दशरथ उरांव, देवनंदन भगत, जौरू उरांव, सनी टाना भगत, अनिल उरांव, बाहा कच्छप, अमर भांगरा, इमरार अहमद ,सूरज मोहन लकड़ा, अजय कुमार नाग,अभय महतो, सज्जन हरदा, शंखनाद सिंह, ,बृजनंदन सिंह ,शांति देवी, सूरज सिंह, मनोज उरांव ने भी अपने- अपने विचार रखे।