झारखंड आंदोलनकारियों के सपने अब भी अधूरे हैं : विनोद सिंह

♦ Dr BIRENDRA KUMAR MAHTO♦
 रांची : झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में झारखंड आंदोलनकारियों के मान-सम्मान , पहचान, नियोजन व पेंशन के अधिकार के सवाल को लेकर आहूत तीन दिवसीय महाधरना कार्यक्रम का समापन आज रांची के मोरहाबादी मैदान स्थित बापू वाटिका प्रागंण में हो गया। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा, झारखंड आंदोलनकारियों के सपने अभी भी अधूरे है। झारखंड अलग राज्य की लड़ाई महज एक राज की लड़ाई नहीं बल्कि झारखंडी अस्मिता, दावेदारी और पहचान की लड़ाई थी। यहां के जल, जंगल, जमीन और संसाधनों पर झारखंड की जनता के अधिकार की लडाई थी। अलग राज्य होने के बाद आंदोलनकारियों को सम्मान देने के मामले में झारखंड अब भी पीछे है। किसी भी सरकार ने आंदोलनकारियो की पीड़ा समझने का काम नहीं किया है। झारखंड के साथ ही अलग हुए राज्यों की सरकार ने आंदोलनकारियों की पहचान कर पेंशन नियोजन की गारंटी दी है पर झारखंड में जेल जाने की बाध्यता ने पहचान के काम को जटिल बना दिया है, जो जेल गए या आन्दोलन में पीड़ित हुए हैं सभी को आन्दोलनकारी का दर्जा दिया जाना चाहिए।


    11 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास के समक्ष विशाल प्रदर्शन
   ♦12 दिसंबर को झारखंड के अगुआ एन इ होरो की पुण्य तिथि व गुमला जिला के कुम्हारी चौक के पास प्रतिमा का अनावरण
   ♦18 दिसंबर को बाबू बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि
   ♦25 दिसंबर को शहीद निर्मल महतो की जयंती मनाई जाएगी तथा
   ♦29 दिसंबर को झारखंड बंद


पिछले कई आंदोलन के कारण आंदोलनकारियों की कुछ मांगों पर सरकार ने पहल की है,पर सिर्फ विज्ञापनों से काम नहीं चलेगा, आंदोलन की मूल भावनाओं के अनुरूप सरकार को पहल करनी होगी। सच है कि आंदोलनकारियो के सपने अब भी अधूरे हैं , आंदोलनकारियो के पेंशन बढोतरी, नियोजन समेत अन्य लाभों की गारंटी के लिए ,अधिकार और संसाधन युक्त आयोग की जरुरत है । अस्थायी आयोग आंदोलनकारियों को स्थाई नियोजन की गारंटी नहीं कर सकता है ,सदन में सरकार को मामले से अवगत कराएंगे। उन्होंने झारखंड बंद के दौरान जीटी रोड जाम की पुरानी यादें भी साझा की। उन्होने कहा की जो आंदोलकारियो का नहीं वह झारखंड का भी नही हो सकता है।
एक और लड़ाई की जरूरत : सूर्य सिंह बेसरा
पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा, झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान हाशिए पर है आज झारखंड आंदोलनकारियों को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए पहचान के सवाल को लेकर एक और लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है।
29 दिसम्बर को होगा झारखंड बंद : राजू महतो
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संघर्ष मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि करो या मरो के तर्ज पर झारखंड आंदोलनकारियों को अपने अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई लड़नी होगी। 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास के समक्ष विशाल प्रदर्शन 12 दिसंबर को झारखंड के अगुआ एनई होरो पुण्यतिथि व गुमला जिला के कुम्हारी चौक के पास प्रतिमा का अनावरण,18 दिसंबर को बाबू बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि , 25 दिसंबर को शहीद निर्मल महतो की जयंती मनाई जाएगी तथा 29 दिसंबर को झारखंड बंद किया जाएगा। वित्त अध्यक्ष आजम अहमद ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों को अब खामोश रहकर अपनी लड़ाई नहीं बल्कि एक और संघर्ष की आवश्यकता है।

इनकी रही मौजूदगी
कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय प्रवक्ता पुष्कर महतो एवं धन्यवाद ज्ञापन कुमोद कुमार वर्मा ने किया। इस अवसर पर राज्य के विभिन्न जिलों से आए झारखंड आंदोलनकारियों में जामताड़ा से सर्जन हांसदा सिमडेगा से लॉलेन टोप्पो, चतरा से मुनेश्वर माली गढ़वा से गोपाल गुप्ता हजारीबाग से पच्चू राणा, ध्रुव नारायण पासवान श्याम सुंदर साहू, सोहराई मांझी, रामगढ़ से लखन महतो , भोला महतो,जगत महतो, हीरा गोप, पलामू से प्रसन्न कुमार दुबे, श्याम लाल सिंह ,फागू उरांव, लोहरदगा से इम्रारार अहमद,राजेश प्रसाद, महबूब आलम,लातेहार से अमर भेंगरा, सबिर अंसारी, सफीक अंसारी, बोकारो से भुनेश्वर केवट,
रांची से आजम अहमद, प्रेम मित्तल, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, मौलाना इजरायल खालिद, विनीता अल्पना खलखो, मंगलेश्वर उरांव, एरेन् कच्छप, अनिल उरांव, प्रमोद ठाकुर,अशोक साहू,रंजन बाड़ा, सुबोध लकड़ा, डॉ आफताब जमील, गुमला जिला से अल्फ्रेड आइन्द, भोला नाथ सिंह ,रतिया उरांव ने भी मौजूद थे।

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