रांची विवि के टीआरएल विभाग के जीर्णोंद्धारित भवन का उद्घाटन, राज्यपाल बोले- शिक्षकों की कमी जल्द होगी दूर, शोध के लिए होगा विकसित

♦Dr BIRENDRA KUMAR MAHTO♦
रांची : झारखंड के राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस ने शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के जीर्णोंद्धारित भवन का उद्घाटन किया। यह विभाग अब नए तरीके से सुसज्जित कर दिया गया है, जहां ऑडिटोरियम के साथ-साथ तमाम मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं।
राज्यपाल ने कहा- जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग आज पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इस विभाग का विस्तारीकरण आने वाले समय में और अधिक होगा। शिक्षकों की कमी भी जल्द से जल्द दूर की जाएगी। इस विभाग को रिसर्च के लिए भी बेहतर तरीके से डेवलप किया जाएगा।
पूरी दुनिया के लिए टीआरएल विभाग मिसाल है : कुलपति
कुलपति प्रो (डॉ) कामिनी कुमार ने कहा- झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को ग्लोबल पहचान बनाने व दिलाने की दिशा में रांची विश्वविद्यालय का जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग हमेशा आगे रहा है। यह विभाग पूरी दुनिया में एक है, जहां एक ही छत के नीचे एक झारखंड की नौ मातृभाषाओं की पढ़ाई होती है। उन्होंने कहा, यह केवल एक विषय के विभाग की तरह नहीं है बल्कि यह झारखंड की भाषा-संस्कृति की हृदय स्थली है। झारखंड को जानना हो तो इस विभाग से बेहतर सूचना स्रोत या केंद्र कोई दूसरा नहीं हो सकता। यह विभाग काफी उतार-चढ़ाव के साथ आज एक नए रूप में खड़ा है ।अब यह विभाग सेंटर आफ एक्सेलेंस की ओर अग्रसर है।

विद्यार्थियों की परेशानियां होंगी दूर
गौरतलब हो कि झारखंड के जनजातीय भाषाओं में संताली, मुंडारी, हो, कुँड़ुख, खड़िया तथा सदानी भाषाओं में नागपुरी, खोरठा, पंचपरगानिया, कुरमाली, कुल 9 भाषाओं की पढ़ाई के साथ साथ शोध कार्य भी लगातार हो रहें हैं। समय-समय पर देश-विदेश के रिसर्चर यहां पहुंचते हैं। क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा विभाग को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने से अब शोधार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी। अन्य देशों के शोध करने वाले विशेषज्ञ भी यहां पहुंचेंगे। विद्यार्थियों की परेशानियां भी दूर होंगी।
इससे पहले जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के संकायाध्यक्ष और कुलानुशासक प्रो.(डॉ) त्रिवेणी नाथ साहु ने धन्यवाद ज्ञापन, अतिथियों का स्वागत विभाग के समन्वयक डॉ हरि उराँव, जबकि संचालन नागपुरी भाषा विभाग के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ उमेश नन्द तिवारी ने किया।
इनकी रही मौजूदगी
मौके पर कुलसचिव डॉ मुकुल चन्द मेहता, सीसीडीसी डॉ राजेश कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार, परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष झा, सीसीडीसी डॉ राजेश कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार, संचालन डॉ उमेश नन्द तिवारी, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण चन्द्र टुडू, सहायक प्राध्यापक डॉ रीझू नायक, डॉ राम कुमार, डॉ महेश्वर सारंगी, डॉ मेरी एस सोरेंग, डॉ गीता कुमारी सिंह, कुमारी शशि, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ सविता केशरी, कुमारी शशि, डॉ दमयन्ती सिंकु, डॉ सरस्वती गागराई, डॉ निरंजन कुमार, डॉ किरण कुल्लू, दिनेश कुमार, किशोर सुरीन, करम सिंह मुण्डा, सुबास साहु, संतोष कुमार भगत, अनुराधा मुण्डू, धीरज उराँव, गुरुचरण पूर्ति, जयप्रकाश उराँव, नरेन्द्र दास, मानिक कुमार, रवि कुमार, प्रवीण सिंह, बसंत कुमार, सुनीता कुमारी, मीना कुमारी, पप्पू बाण्डो, प्रभा देवी, धरमा के अलावा विभाग के अन्य सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी, छात्र छात्राएँ व साहित्य संस्कृति प्रेमी मौजूद थे।

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