प्रफुल्ल कुमार राय की जयंती पर वक्ताओं ने कहा- संस्कृति की रक्षा के लिए मातृभाषा को सम्मान देना जरुरी

♦DrBIRENDRA KUMAR MAHTO♦
रांची: नागपुरी भाषा परिषद की ओर से रांची प्रेस क्लब में नागपुरी के महान साहित्यकार प्रफुल्ल कुमार राय जयंती मनायी गयी और प्रफुल्ल सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में यह सम्मान रामउचित सिंह और डॉ. शकुन्तला मिश्र को प्रदान किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) रमेश कुमार पाण्डेय, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.(डॉ.) कामिनी कुमार, कुलसचिव डॉ. मुकुंद चंद्र मेहता, वित्त पदाधिकारी डॉ. कुमार आदित्येन्द्र नाथ शाहदेव एवं जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के समन्वयक डॉ.हरि उरांव विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन नागपुरी भाषा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ.उमेश नन्द तिवारी ने किया। स्वागत गीत डॉ.अशोक कुमार बड़ाईक ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।
मातृभाषा के प्रति बच्चों में प्रेम जगाएं: डॉ रमेश पांडेय
रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा- प्रफुल्ल कुमार राय के मन में जिस प्रकार भाषा के विकास के प्रति लगन और निष्ठा थी, वह आज हम सभी में होनी चाहिए । मातृभाषा ही हमें जीने की राह सिखलाती है। मातृभाषा के द्वारा ही हम विकास की सीढ़ियां चढ़ पाते हैं । बच्चों को मातृभाषा में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चों के मन में मातृभाषा के प्रति प्रेम जगाना चाहिए।

मधुर भाषा है नागपुरी: डॉ कामिनी कुमार
रांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. कामिनी कुमार ने कहा कि नागपुरी इतनी मधुर भाषा है कि मन सहज ही आकर्षित हो जाता है और दूसरे को बोलते हुए देखकर अपने आप बोलने की चाह उत्पन्न होने लगती है । आज नागपुरी भाषा विकास की सीढ़ियां जहां तक चढ़ पायी है, उसमें प्रफुल्ल कुमार राय जैसे पुरोधाओं का संकल्प और ढृढ़ इच्छाशक्ति ही है। प्रफुल्ल कुमार राय उस हस्ती का नाम है जिन्होंने भाषा के विकास के लिए अपना तन-मन-धन न्योछावर कर दिया । झारखंड की भाषाएं संस्कृति की परिचायक हैं। प्रफुल्ल जयंती और नई पीढ़ी के उत्साह को देखते हुए गर्व महसूस होता है कि हमारा नागपुरी समाज कितना सजग और जागरूक है।
ढाई हजार वर्ष पुरानी भाषा है नागपुरी: डॉ कुमार एएन शाहदेव
रांची विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ. कुमार आदित्येन्द्र नाथ शाहदेव ने कहा- इस प्रकार के आयोजन से नागपुरी भाषा भाषियों के बीच में प्रेम और सद्भावना बढ़ेगी। भाषा के प्रति लोगों की रूचि बढ़ेगी । नागपुरी भाषा लगभग ढाई हजार वर्ष पुरानी भाषा है जो नागवंशिओ के शासनकाल में राजभाषा के रूप में स्थापित थी और छोटानागपुर में नागवंशियों के समय में कभी भी उनके विरूद्ध विद्रोह नहीं हुए।


नागपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार धनेन्द्र प्रवाही ने कहा कि प्रफुल्ल जयंती सम्मान समारोह में दो कलाकार- साहित्यकार को सम्मानित किया गया उनमें कोटाम, गुमला के रहने वाले रामउचित सिंह को उनके लेखन और गायन के लिए प्रफुल्ल सम्मान से सम्मानित किया गया। रामउचित सिंह लंबे समय से नागपुरी गीत संगीत से जुड़े हुए हैं। ये आकाशवाणी रांची और दूरदर्शन से भी जुड़े हुए हैं । अभी तक झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार आदि राज्यों में नागपुरी संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं । उन्हें कई सम्मानों से पूर्व में भी सम्मानित किया जा चुका है । डॉ. शकुंतला मिश्र गुमला की रहने वाली हैं । इन्होंने नागपुरी से अपनी पढ़ाई की और साथ ही साथ नागपुरी में कई पुस्तकों की रचनाएं की हैं । इनकी प्रमुख पुस्तकों में नागपुरी सदानी व्याकरण, सदानी-नागपुरी शब्दकोश, सातो नदी पार नामक उपन्यास के अलावा कई लिखित और कई संकलित-संपादित पुस्तकें हैं जो विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। इन्हें झारखंड रत्न सम्मान भी मिला है। इसके अलावा कई संस्थाओं ने इन्हें सम्मानित किया है । साथ ही साथ दूरदर्शन केंद्र रांची द्वारा प्रेरणास्रोत सम्मान, झारखंड सरकार द्वारा कथा सम्मान, बिहार सरकार से विदुषी सम्मान आदि कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।


संस्कृति बचेगी तो अखड़ा बचेगा: पद्मश्री मुकुन्द नायक
पद्मश्री मुकुन्द नायक ने कहा कि हमारी संस्कृति तभी बचेगी जब अखड़ा बचेगा। पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुण्डा की उक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि दादा कहा करते थे ’जे नाची से बाँची ’ हम नाचते हैं अखरा में, यदि हम अखड़ा को नहीं बचाएंगे तो हमारी संस्कृति को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता है। अतः हमें अखड़ा को बचाना है। हमारे संगीत को बचाना है तभी हमारी संस्कृति बचेगी ।
भाषाई उलगुलान नया नहीं है: पद्मश्री मधु मंसूरी
पद्मश्री मधु मंसूरी ने कहा कि भाषाई उलगुलान कोई नया नहीं है। भाषा के विकास के लिए बहुत समय पहले से लोग आवाज उठाते रहे हैं । प्रफुल्ल कुमार राय सरीखे लोगों ने भी आवाज उठाई जिसका नतीजा आज जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग है । हमें मिलजुल कर एकता के सूत्र में बंधकर अपनी भाषा के विकास के लिए कमर कस लेना होगा ।

इनकी रही मौजूदगी
समारोह में डॉ. खालिक अहमद, डॉ.महेश्वर सारंगी, डॉ.सविता केसरी, डीएसपी दीपक शर्मा, हरिनंदन महली, मनपूरन नायक, डॉ. संजय सारंगी, डॉ. आलम आरा, डॉ. प्रभात रंजन तिवारी, डॉ. अंजूलता साहू, डॉ. जयकान्त , डॉ. कोरनेल्युस मिंज, डॉ. राम कुमार, रविन्द्र ओहदार, राजमुनी, युगेश कुमार महतो, मनोज कच्छप, संतोष कुमार भगत , सुखराम उराँव, रवि कुमार, मीना कुमारी, सुमन कुमार, पप्पू कुमार महतो, सोनू, रामदेव बड़ाईक, युवराज, श्रीकांत, श्याम, प्रवीण, सौरभ, नेहा, आशा देवी, किरण मिश्रा, उषा कुमारी, पुनी, प्रेम मंजरी , सलोनी आदि शामिल थे आदि उपस्थित थे।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सुखदेव साहु ने किया। स्वर सम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर, पद्ममश्री डॉ. गिरिधारी राम गौंझू, डॉ.भुवनेश्वर अनुज के निधन के कारण 2 का मिनट का मौन रखने के बाद समारोह का समापन हुआ।

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