♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र में आज नागपुरी विभाग के छात्रों की ओर से विभाग के प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो एवं डॉ रीझू नायक की अगुवाई में लुप्तप्राय दुर्लभ कल्पतरु का एक पौधा लगाया गया। पौधरोपण कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. (डॉ) त्रिवेणी नाथ साहु, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के समन्वयक डॉ हरि उराँव, नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी, डॉ सविता केशरी अतिथि के रूप में मौजूद थे। अतिथियों ने कहा कि लुप्तप्राय कल्पतरू वृक्ष का जिक्र पुराणों में है। मान्यता भी है कि कल्पतरू वृक्ष के नीचे बैठकर जो कुछ भी मांगा जाये, वह सारी मुराद पूरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि आज इस वृक्ष के लगने से यह विभाग धन्य हो गया। सांस्कृतिक और आन्दोलनों का केन्द्र रहा इस ऐतिहासिक परिसर में कल्पतरू पौधा का लगना एक शुभ संकेत है। कल्पतरु विशालकाय संरचना के साथ साथ ये अपनी पौराणिक महत्वों और औषधीय गुणों के कारण भी जानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अुनसार कल्पतरु को ईश्वरीय वृक्ष माना गया है। वेदों के अनुसार इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी।
इस दुर्लभ कल्पतरु वृक्ष लगाने के अवसर पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के प्राध्यापक कुमारी शशि, तारकेश्वर सिंह मुण्डा, किशोर सुरीन, मनय मुण्डा, डॉ विनोद कुमार, डॉ रामकिशोर भगत, डॉ नकुल कुमार, विजय आनन्द, रवि कुमार, योगेश प्रजापति, नुतन कच्छप, सहला सरवर, विक्की मिंज, तनु कुमारी, प्रतिभा कुमारी, प्रिया ठाकुर, कमल मुण्डा, नवल किशोर, पप्पू बांडों, गुलाम सादिक, नुतन कुमारी के अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्र छात्राएँ मौजूद थे।