♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: झारखंड में सहायक प्राध्यापक नियुक्ति नियमावली का विरोध शुरू हो गया है। इस नियमावली का राज्यभर में शोधार्थियों की ओर से विरोध हो रहा है।
इसी कड़ी में आज सुबह अनुबंध सहायक प्राध्यापकों ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से मुलाकात कर अपनी बात रखी। बाबूलाल ने इस नियम की निंदा की और तथा भरोसा दिलाया कि इस नियम को कभी भी सदन से पास नहीं होने दिया जाएगा। दोपहर में शोधार्थियों ने राँची विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात की। कुलपति ने राज्यपाल को पत्र लिखकर बताया कि यह नीति किसी भी दिशा से न तो झारखण्ड के छात्रों एवं शोधार्थियों के पक्ष में है और न ही यू.जी.से. के नियमों के अनुकूल है। दोपहर बाद मोरहाबादी स्थित रांची विश्विद्यालय कैंपस में उच्च शिक्षा सचिव के. के. खंडेलवाल का उनका पुतला जलाया गया।
21 जुलाई से विश्वविद्यालयों में बंदी का आह्वान
झारखण्ड के सभी छात्र संगठनों , शोधार्थियों, अनुबंध व्याख्याताओं एवं अतिथि शिक्षकों ने आह्वान किया कि यदि इस नियमावली को अतिशीघ्र वापस नहीं लिया गया तो 21 जुलाई से राज्यभर के विश्वविद्यालयों में अनिश्चितकालीन तालाबंदी की जाएगी। शोधकर्ताओं ने इस नियमावली को झारखंड से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए मृत्यु दंड की संज्ञा दी तथा कहा कि यह झारखण्ड से उच्च शिक्षा को खत्म करने का सुनियोजित षडयंत्र है।