♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुबंध पर नियुक्त घंटी आधारित शिक्षक अब राज्य सरकार की बेरुखी से आहत होकर अब मुर्गी चराएंगे। इसके आलावा धरनास्थल पर ही छात्रों को भी पढ़ाएंगे समस्याओं और मांगों की ओर राज्यपाल व मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करने के लिए उनका आंदोलन 10वें दिन भी जारी रहा। उनके धरना-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हो रहे हैं। उन्हें अलग-अलग संगठनों का समर्थन भी हासिल हो रहा है।
वे रेगुलराइजेशन, यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार न्यूनतम ग्रेड पे या ग्रौस सैलरी फिक्सेशन, बर्खास्त शिक्षकों की सेवा बहाल करने की मांग को लेकर वे राज भवन के सामने शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मौके पर सरकार की सद्बुद्धि के लिए झारखंड प्राध्यापक अनुबंध संघ रंगुवा,चरका, करिया मुर्गी चराने का निश्चय किया।
सरकार की ओर से कोई प्रतिनिधि अबतक बात करने नहीं पहुंचे
धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा- एक ओर जहां शिक्षकों को समाज में सम्मानजनक माना जाता है वहीं दूसरी ओर राज्य के इतने उच्च शिक्षा योग्यता प्राप्त करके भी हमारे राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों को अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है। इससे ज्यादा राज्य के लिए और क्या दुर्भाग्य हो सकता है। सहायक प्राध्यापक नियुक्ति के समय से अपनी सेवा लगातार दे रहे हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ-साथ छात्र हित में उन सभी कार्य को करते है जो विद्यार्थियों के हित में हो। विभाग को तत्काल इन शिक्षकों के हित में कदम उठाना चाहिए। लेकिन दुख की बात यह है कि सरकार की ओर से कोई प्रतिनिधि भी उनकी बात सुनने वहां नहीं पहुंचे। अब सहायक प्राध्यापकों ने यह भी निर्णय लिया कि महाविद्यालय के छात्रों का पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए सभी छात्रों को यहीं बुलाकर पढ़ाया जाएगा। घंटी आधारित पूरे भारत में एक नया प्रयोग है जिसमें मानदेय में समानता नहीं होती । छुट्टी इतनी होती है कि किसी को दस हजार तो किसी को पंद्रह हजार रु महीने में घर चलाना पड़ रहा है।
इनकी रही मौजूदगी
आंदोलन के 10वें दिन धरना-प्रदर्शन में डॉ रीझु नायक, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डा. एस के झा, लाल अजय नाथ शाहदेव, ब्रह्मानंद साहू, अंशुल कुमार, डा.अशोक महतो, डा.रामकुमार, डा.त्रिभुवन शाही, डा.मुकेश उरांव, डा भादी उरांव, डा. ए. टेटे, डा नरेंद्र कुमार दास, प्रो.जुरा होरो, डा बासुदेव महतो, डा अहिल्या कुमारी, प्रो नीलू कुमारी, डा शशि विनय भगत, आदित्य महतो, डा निवेदिता मुनमुन, सहित सैकड़ों सहायक प्राध्यापक शामिल हुए।