♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: कवयित्री, लेखिका एवं उपन्यासकार गीता चौबे गूँज की तीन पुस्तकों का लोकार्पण आज यहां किया गया। लोकार्पण के बाद इन पुस्तकों पर परिचर्चा भी हुई। झारखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच की ओर से मंच के सरंक्षक विनय सरावगी ने गीता चौबे गूँज को सम्मानित भी किया। इससे पहले भी श्रीमती गूँज की तीन कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें दो कविता-संग्रह और एक उपन्यास बंद घरों के रोशनदान है। इसे ग्वालियर में आयोजित कृति-सम्मान 2021 से भी सम्मानित किया गया था।
झारखंड हिन्दी साहित्य एवं संस्कृति मंच के तत्वावधान में आज आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ हरेराम त्रिपाठी चेतन और विशिष्ट अतिथि डॉ माया प्रसाद थीं। अध्यक्षता डॉ. अशोक प्रियदर्शी ने की। कृति-चर्चा में डॉ जंगबहादुर पांडेय, श्रीमती अनिता रश्मि एवं डॉ राजश्री जयंती ने अपने विचार रखे। मंच के संरक्षक विनय सरावगी, उपाध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। मंच के सचिव विनोद सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। सरस्वती वंदना कविता रानी सिंह तथा संचालन मुनमुन ढाली ने किया। इस अवसर पर डॉ पंपा सेन ने लेखिका की कृतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले वर्ष इनका एक उपन्यास भी आया था बंद घरों के रोशनदान । किन्नर जीवन पर आधारित एक ऐसा उपन्यास है जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया और मुझे लगता है कि इस तरह की कृतियों को समाज में लाने की बहुत अधिक आवश्यकता है। रेणु झा ने पुस्तक कल-कल निनाद से गीत का गायन किया। डॉ अशोक प्रियदर्शी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि नए लेखकों को पुराने साहित्य का खूब अध्ययन-मनन करना चाहिए और धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
डॉ माया प्रसाद एवं डॉ हरेराम त्रिपाठी चेतन ने भी इन कृतियों की सराहना की। इस अवसर पर शहर के अनेक साहित्यकार उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त सचिव वैद्यनाथ मिश्र ने किया।