टीआरएल संकाय : स्नातकोत्तर मुण्डारी विभाग के अध्यक्ष बने प्रो मनय मुण्डा, डॉ हरि उरांव ने कहा – बौद्धिक संपदा से परिपूर्ण व्यक्तित्व का इंतजार खत्म

♦Dr Birendra Kumar Mahto♦
रांची : रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में प्रो मनय मुण्डा को स्नातकोत्तर मुण्डारी विभाग का अध्यक्ष बनाए जाने पर स्वागत किया गया। स्वागत कार्यक्रम की अध्यक्षता टीआरएल संकाय के समन्वयक डॉ हरि उराँव, संचालन डॉ बीरेन्द्र कुमार सोय एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ किशोर सुरिन ने किया।
बौद्धिक जगत में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा : डॉ हरि उरांव
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समन्वयक डॉ हरि उराँव ने कहा कि प्रो मनय मुण्डा को मुण्डारी विभाग का अध्यक्ष बनाए जाने से बौद्धिक जगत में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। मुण्डारी विभाग के साथ-साथ केन्द्र के नौ भाषाओं के शैक्षणिक जगत में नई रोशनी जगमगाएगी। वर्षों से यहां के छात्र-छात्राओं, शोधकर्ताओं एवं शिक्षाविदों को बौद्धिक संपदा से परिपूर्ण व्यक्तित्व का इंतजार रहा है। प्रो मनय मुण्डा के रूप में यह कमी पूरी होगी। प्रो मुण्डा विभागाध्यक्ष के रूप में छात्र-छात्राओं व शोधकर्ताओं के साथ-साथ शिक्षकों का भी मार्गदर्शन करते रहेंगे
गौरतलब हो कि प्रो मुण्डा प्रो नलय राय का स्थान लेंगे, जो 31 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

झारखंड के नवनिर्माण में टीआरएल विभाग की अहम भूमिका : प्रो मनय मुण्डा
प्रो मनय मुण्डा ने अपने कई अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि हरेक व्यक्ति को अपने कार्यों के प्रति ईमानदारी से लगे रहना चाहिए। निरंतर प्रयास से व्यक्ति हमेशा सफल होता है। उन्होंने कहा कि आप जैसा काम करेंगे तो समाज में आपकी छवि वैसी ही बनेगी। इसलिये हमेशा अच्छा करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शुरू से ही जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की अहम भूमिका इस राज्य के नवनिर्माण में रही है। यह विभाग पूरे झारखंड को दिशा प्रदान करने का काम करता रहा है। यह हम सबों के लिये गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि आप कहीं भी काम करें, आपकी छवि आपके विभाग से जानी व पहचानी जायेगी। जीवन में कई बाधा और कष्ट आयेंगे, परन्तु हमें उनसे विचलित नहीं बल्कि धैर्य के साथ सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मैं चौबीस घंटे छात्र-छात्राओं व शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध हूं।
इनकी रही मौजूदगी
इस मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के प्राध्यापक डॉ उमेश नन्द तिवारी, डॉ सविता केशरी, बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक, डॉ सरस्वती गगराई, डॉ दमयंती सिंकू, राजकुमार बास्के, प्रेम मुर्मू, शकुन्तला बेसरा, बीरेन्द्र उराँव, धीरज उराँव, करम सिंह मुंडा, रमाकांत महतो, डॉ उपेन्द्र कुमार, प्रभा हेमरोम, बसंती देवी, राजकुमार के अलावा कई अन्य सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र छात्राएँ मौजूद थे।

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