रांची : ईसाइयों का पर्व ईस्टर रविवार को भक्तिभाव के साथ मनाया गया। रांची और झारखंड के अन्य हिस्सों में रविवार को विशेष प्रार्थना की गयी। चर्चों में बाइबिल का पाठ हुआ। प्रभु यीशु के संदेश सुनाये गये। इसी दिन प्रभु यीशु मृत्यु के तीन दिन बाद जी उठे थे। ईसाई धर्म गुरुओं ने यीशु के प्रेम, शांति और मानवता के संदेश को सुनाया। उनके त्याग की कहानी बतायी। बताया गया कि मृत्यु के तीन दिन बाद प्रभु कैसे जीवित हो उठे थे। भक्तों में कैसे खुशी की लहर दौड़ गयी थी। धर्मगुरुओं ने ईस्टर के मौके पर अपने संदेश में कहा कि आज पुनरुथान यानी ईस्टर का पर्व है। क्रूस में मृत्यु के पश्चात प्रभु यीशु का शव कब्र में रखा गया था। आज ही के दिन उनकी समाधि का पत्थर खिसका और समाधि खाली हो गई थी। उसके भीतर देवदूत दिखे, जो हिम के समान उज्ज्वल वस्त्र धारण किए हुए थे और जिनका मुखमंडल दमक रहा था। यह एक अदभुत घटना थी। प्रभु यीशु का जीवित होना मृत्यु के खिलाफ एक प्रतिक्रिया थी। इस घटना से यह संदेश मिलता है कि मृत्यु जीवन पर नहीं, बल्कि जीवन मृत्यु पर हावी रहती है। प्रभु के जीवन से सभी को प्रेरणा मिलती रहेगी।