रांची : आजसू पार्टी के केंद्रीय. अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने झारखंड आंदोलन के बौद्धिक अगुवा में से एक डॉ निर्मल मिंज से मुलाकात की। आजसू नेता ने साहित्य अकादमी के भाषा सम्मान पाने के लिये बधाई दी और उनका कुशलक्षेम जाना। इसके बाद झारखंड के मौजूदा हालात पर लंबी चर्चा की। आजसू नेता के साथ संजय बसु मल्लिक, डॉ देवशरण भगत और मुनचुन राय भी थे।
सीएनटी- एसपीटी एक्ट में संशोधन पर आजसू की चिंता
सुदेश महतो ने उन्हें झारखंडी हितों को लेकर पार्टी द्वारा उठाये जा रहे आवाज और इस दिशा में झारखंडी समाज को एकजुट करने की कोशिशों के बारे में जानकारी दी। आजसू नेता ने डॉ मिंज से कहा कि अस्सी के दशक में झारखंड आंदोलन को धार देने क लिये जिस तरह से बौद्धिक और सांस्कृतिक आंदोलन को दिशा दिया जाता था, वर्तमान परिस्थितियों में उसकी ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है। आजसू नेताओं ने सरकार द्वारा सीएनटी- एसपीटी एक्ट में संशोधन की तैयारी पर भी चिंता जताई और बताया कि पार्टी हर स्तर पर इसका विरोध कर रही है।
क्षेत्रीय तथा जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई के प्रति गंभीरता दिखायें : डॉ निर्मल मिंज
डॉ निर्मल मिंज ने कहा कि झारखंडी भाषा, साहित्य और संस्कृति पर व्यापक तौर पर काम किये जाने की जरूरत है। इससे झारखंडी मुद्दे को हल करने में सहुलियत होगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों , कॉलेजों तथा स्कूलों में क्षेत्रीय तथा जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई को लेकर गंभीरता दिखाये जाने की जरूरत है। उन्होंने आदिवासियों- मूलवासियों के मूल विषयों को छोड़कर दूसरे मुद्दे को उछाले जाने पर भी चिंता जतायी। आजसू नेताओं ने उनसें पार्टी के कैडरों के बीच बौद्धिक चेतना जगाने के लिये सहयोग मांगा। तथा इसका भी भरोसा जताया कि पार्टी नये सिरे से झारखंड आंदोलन को अगुवा और पुराने लोगों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर रायशुमारी बनाना चाहती है।