मन बदलें और तकनीक का इस्तेमाल करें तो आएगा बड़ा बदलाव : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली : देश का सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस हो जाएगा। इसकी पहल शुरू कर दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट में अब याचिकाएं ऑनलाइन भी दी जा सकेंगी।

सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन याचिकाएं डाली जा सकेंगी, नयी व्यवस्था का प्रधानमंत्री ने किया उद्घाटन

सुप्रीम कोर्ट में इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन याचिका और दस्तावेज दाखिल करने की नई व्यवस्था का आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया है। उद्घाटन समारोह में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर सहित कई न्यायाधीशगण मौजूद थे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में हम आगे हैं लेकिन तकनीक का जितना इस्तेमाल देश में किया जाना चाहिए था वह अबतक नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलाव जरुरी है और चुनौती हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर की नहीं बल्कि मानसिकता में है। इसे बदलना होगा।

आज की पीढ़ी मोबाइल फोन पर खबरें पढ़ती हैं

उन्होंने कहा कि पहले बड़े अफसरों के टेबल पर बड़ा गुलदस्ता और छोटे अफसरों के टेबल पर छोटा गुलदस्ता रहता था, लेकिन अब कंप्यूटर रहता है। इस कम्प्यूटर के उपयोग पर उन्होंने जोर दिया। कहा कि बड़े लोग अखबार पढ़ते हैं लेकिन बच्चे मोबाइल में ही दुनियाभर की खबरें पढ़ लेते हैं। यह बदलाव है और इस बदलाव का सभी को हिस्सा बनना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर वह दिन दूर नहीं जब हम अप्रासंगिक हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि तकनीक की ताकत अद्भुत है। इसे लेकर हमें अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा। मन बदलेंगे, मंतव्य बदलेंगे,तभी बदलाव आएगा।

ए4 साइज का एक पेज बनाने में दस लीटर पानी का खर्च

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश-दुनिया में करेंसी बदलाव का इतिहास रहा है। कागज वाली करेंसी का वक्त जाने वाला है। इसलिए डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करें। इससे ट्रांसपोटेशन, सुरक्षा सहित कई खर्च बचेंगे। देश को काफी रुपये की बचत होगी और यह राशि गरीबों के काम आएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि रिसर्च के अनुसार ए4 साइज का एक पेज बनाने में दस लीटर पानी खर्च होता है। पर्यावरण को नुकसान होता है। डिजिटल होने से पानी सहित कई चीजों की सुरक्षा हो सकेगी। इसका फायदा पर्यावरण और आने वाली पीढ़ी को मिलेगा।

अधिवक्ताओं से गरीबों की निशुल्क मदद का अनुरोध

प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर के अधिवक्ताओं से गरीबों को केस में निःशुल्क मदद करने और इसके लिए अभियान चलाने का आग्रह किया। उन्होंने उदाहरण दिया कि उनके अनुरोध पर देश की महिला रोग विशेषज्ञ हर महीने की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की चिकित्सा निशुल्क करती हैं। गरीबों के मामले को निबटाने और उनकी निशुल्क मदद लिए भी अधिवक्ताओं को सामने आना चाहिए।

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