निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मियों को केन्द्र सरकार की ओर से एक बड़ी राहत दी गयी है। ऐसे कर्मियों के लिए श्रम कानून में संशोधन किया गया है। ग्रेच्युटी की राशि अब 5 साल नहीं बल्कि एक साल की नौकरी पर ही मिल जाएगी।
दरअसल कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरियों के बढ़ते चलन और कर्मचारियों के जल्द जॉब चेंज करने की वजह से पांच साल से कम समय में नौकरी पर ही ग्रेच्युटी देने की जरूरत महसूस की जा रही थी।
संसद की ओर से पारित नए लेबर कोड के मुताबिक अब एक साल की नौकरी पूरी कर छोड़ने पर उसी अनुपात में ग्रेच्युटी मिलेगी। अभी तक पांच साल की नौकरी पूरी करने पर हर साल 15 दिन के वेतन के हिसाब से ग्रेच्युटी मिलती है
ऐसे होती है ग्रेच्युटी की गणना
ग्रेच्युटी हर साल की नौकरी पर 15 दिन का वेतन होता है। वेतन का मतलब डीए और बेसिक सैलरी होता है। महीने की गणना 26 दिन की होती है क्योंकि चार साप्ताहिक छुट्टी होती है। पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां दस से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्युटी का पूरा लाभ मिलता है। अगर कोई कर्मचारी छह महीने से ज्यादा काम करता है तो उसकी गणना एक साल के तौर पर की जाएगी। मसलन, अगर कोई कर्मचारी 5 साल 7 महीने काम करता है तो उसे छह साल माना जाएगा। बहरहाल नये लेबर कोड से निजी क्षेत्र के कर्मियों को काफी लाभ मिलेगा।