♦लहर न्यूज संवाददाता♦
रांची: कुडुख लिटरेरी सोसाइटी ऑफ इंडिया नई दिल्ली के तत्वावधान में कुडुख भाषा साहित्य की दशा-दिशा विषय पर दो दिवसीय वेबिनार का रविवार को समापन हो गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं और शोधार्थियों की ओर से कई शोध-पत्र प्रस्तुत किये गये।
सुखमणि केरकेट्टा ने कुडुख और तमिल भाषा में अंत संबंध विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। बुधु उरांव ने उरांव समाज में डंडा कट्टना धार्मिक आध्यात्मिक महत्व विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। संजना कुमार ने मुड़मा जतरा कल और आज के विषय, सुषमा टोप्पो ने करम पर्व में जवा फूल के महत्व विषय पर अपनी शोध पत्र प्रस्तुत की। इसके अलावा अन्य लोगों ने भी अलग-अलग विषयों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। निर्णायक मंडली के रूप में डॉ हरि उरांव, प्रोफेसर महेश भगत, नाबोर लकड़ा, विमल टोप्पो, फब्यानुस टोप्पो ने अपनी भूमिका निभाई। सम्मेलन की शुरूआत सोसाइटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ उषा रानी मिंज ने लोगों का स्वागत कर की। डॉ अशोक बाखला ने सम्मेलन में संचालन की। सोसाइटी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक 30-31 अक्टूबर को होगी और इसी दिन राष्ट्रीय ऑनलाइन सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा।