♦लहर न्यूज संवाददाता♦
रांची: भगवान बिरसा मुंडा की 145वीं जयंती के मौके पर रांची के कोकर स्थित भगवान बिरसा मुण्डा के समाधि स्थल पर केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुण्डा की अगुवाई में भगवान बिरसा मुण्डा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके साहस और वीरता को याद किया गया।
बबलू मुंडा ने धर्मान्तरण पर जतायी चिंता
केन्द्रीय अध्यक्ष बबलू मुण्डा ने कहा, जिस प्रकार भगवान बिरसा मुण्डा ने अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा था, उसी प्रकार हमलोगो को धर्मान्तरण कराने वाले लोगों के विरूद्ध जंग छेड़ना होगा। मुण्डा ने कहा की सरना आदिवासी युवाओं को अपने रूढ़िवादी परंम्परा के प्रति कट्टर होना होगा, ताकि हम आदिवासियांे के अधिकार पर कोई दूसरा कब्जा नहीं कर सके।
जगलाल पाहन ने कही ये बातें
मुख्य पाहन जगलाल पाहन ने कहा की भगवान बिरसा मुण्डा ने महसूस किया कि आचरण के धरातल पर जनजातीय समाज अंधविश्वासों की आंधियों में तिनके सा उड़ रहा है तथा आस्था के मामले में भटका हुआ है।भगवान बिरसा मुण्डा ने यह भी अनुभव किया कि समाजिक कुरीतियों के कोहरे ने जनजातीय समाज को ज्ञान के प्रकाश से वंचित कर दिया है। धर्म के बिंदू पर जनजातीय समाज कभी मिशनरियों के प्रलोभन में आ जाते है तो कभी ढकोसलों को ही ईश्वर मान लेते है।
बिरसा मुंडा के सपनों का झारखंड नहीं बन सका: कृष्णकांत टोप्पो
महासचिव कृष्णकांत टोप्पो ने कहा की झारखण्ड राज्य बने 20 वर्ष हो गए है लेकिन भगवान बिरसा मुण्डा के सपनों का झारखण्ड नही बन सका।अबुआ दिशुम अबुवा राज का सपना अभी भी अधूरा है।झारखण्ड के नेताओ का विपक्ष में सुर ताल अलग रहता है और सत्ता में आने पर सुर ताल हो जाता है।आज भी मुल झारखण्डी हाशिए पर है।
गौरव दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए भगवान बिरसा मुण्डा की जयंती
संरक्षक राम सहाय सिंह मुण्डा ने कहा, भारत के विभिन्न आदिवासी क्रांतिकारी ,समाज सुधारक के बलिदान हमें भगवान बिरसा मुण्डा के जीवन में दिखाई देते हैं। उनकी जयन्ती को सरना आदिवासी समाज द्वारा गौरव दिवस के रूप में भी संम्पूर्ण भारत में मनाया जाना चाहिए।
इस कार्यक्रम मुख्य रूप से केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुुण्डा,मुख्य पाहन जगलाल पाहन,संरक्षक राम सहाय सिंह मुण्डा,महासचिव कृष्णकांत टोप्पो,सचिव डब्लू मुण्डा,अमर मुण्डा,सक्रिय सदस्य अनिल उराँव,मुन्ना मुण्डा इत्यादि लोग मौजूद थे।