गुमनाम हैं चुटिया क्षेत्र के झारखंड आंदोलनकारी

रांची शहर क्षेत्र में प्रत्येक वार्ड क्षेत्र के झारखंड आंदोलनकारियों के केंद्र बिंदु में चुटिया के झारखंड आंदोलनकारी ही प्रमुखता से रहते थे और मोर्चा संभालते थे। आमरण अनशन का मामला हो या फिर प्रचार-प्रसार का मामला, हर मामले में चुटिया क्षेत्र के झारखंड आंदोलनकारी पूरी तन्मयता के साथ जिम्मेवारी उठाते और उस जिम्मेवारी को पूरा करते थे।

21 जनवरी को आजसू स्थापना दिवस पर विशेष


♦पुष्कर महतो ♦
झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में चुटिया क्षेत्र के लोगों का योगदान जबरदस्त रहा है आज ही के दिन 21 जनवरी 1987 ईस्वी में ऑल झारखंड स्टूडेंटस यूनियन (आजसू) का गठन आजसू के तत्कालीन केंद्रीय अध्यक्ष विनोद कुमार भगत की अध्यक्षता में हुई। इसके पश्चात झारखंड आंदोलनकारियों में नया जोश ,नया जज्बा अलग राज्य के प्रति उभरा और झारखंड आंदोलन को गतिमान बनाने की दिशा में पूरी तन्मयता से चुटिया क्षेत्र के युवाओं ने गोलबंद होकर संघर्ष किया। वर्ष 1989 में 72 घंटे का झारखंड बंद के दौरान चुटिया क्षेत्र से पुष्कर महतो, आनंद कुजुर, शांति प्रकाश लकड़ा, प्रभात किरण टोप्पो, विल्सन लकड़ा गोडसन, विलियम सहित कई युवा गिरफ्तार किए गए और बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेजे गए। इसके अलावा रांची जिला क्षेत्र के विभिन्न थानों में झारखंड आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों को बांड भरवा कर छोड़ दिया गया। अलग राज्य के लिए हो रहे संघर्ष के दौरान आंदालनकारियों को लाॅकअप में बंद किया गया। उनपर पुलिस की लाठियां बरसीं। चुटिया वालों का भिड़ंत अक्सर पुलिस वालों से हुआ करता था। शहर क्षेत्र में प्रत्येक वार्ड क्षेत्र के झारखंड आंदोलनकारियों के केंद्र बिंदु में चुटिया के झारखंड आंदोलनकारी ही प्रमुखता से रहते थे और मोर्चा संभालते थे। आमरण अनशन का मामला हो या फिर प्रचार-प्रसार का मामला, हर मामले में चुटिया क्षेत्र के झारखंड आंदोलनकारी पूरी तन्मयता के साथ जिम्मेवारी उठाते और उस जिम्मेवारी को पूरा करते थे।


सभी लोगों की गिरफ्तारी अप्सपा एक्ट 1950 के तहत हुई, जिसका रिकॉर्ड आज भी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा रांची में नहीं है, जिसके कारण 72 घंटे के बंद के दौरान गिरफ्तार किए गए युवाओं को झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरण का लाभ नहीं मिल रहा है और न ही इन्हें मान-सम्मान व पहचान की प्राप्ति हुई है। अलग राज्य के निर्माण की यह सबसे बड़ी विडंबना है। ये गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। आंदोलनकारी पुष्कर महतो को सन् 1992 में हुई गिरफ्तारी का लाभ पेंशन के रूप में ही मिल रहा है, बाकी लाभ अर्थात प्रशस्ति पत्र ताम्रपत्र का सम्मान व गजट में अभी तक नाम प्रकाशित नहीं हुआ है।


आज भी चुटिया क्षेत्र के झारखंड आंदोलनकारी अपने मान-सम्मान, पहचान, स्वाभिमान की रक्षा, अस्तित्व की रक्षा व पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
चुटिया के आंदोलनकारी राजू महतो ने रांची जिला का नेतृत्व करते हुए झारखंड आंदोलन को गतिमान बनाया। आंदोलन के लिए राजू महतो सभी संसाधनों की व्यवस्था करते थे। इस क्रम में उन्हें खाद्य आपूर्ति विभाग में इंस्पेक्टर की नौकरी के लिए नियुक्ति-पत्र भी आया, लेकिन उन्होंने अलग राज्य की लड़ाई में स्वयं को झोंक दिया था, उन्होंने वह नौकरी नहीं की। इसी प्रकार आंदोलनकारी दिवाकर साहू का किराना दुकान था। झारखंड आंदोलन के लिए उन्होंने सब कुछ त्याग दिया। अपनी सारी पूँजी झारखंड आंदोलन में झोंक दी।
युवा आंदोलनकारी बीरेन्द्र कुमार महतो झारखंड अलग राज्य की मांग को लेकर संघर्ष के लिए झंडे व बैनर बनाते-लिखते थे। वह अखबरों के लिए प्रेस विज्ञप्ति भी बनाते थे।
आंदोलनकारी रवि नंदी टेलरिंग का काम करते थे, लेकिन झारखंड अलग राज्य के लिए उन्होंने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। युवाओं की पढ़ाई लिखाई भी अलग राज्य की लड़ाई के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुई। इस प्रकार चुटिया क्षेत्र के 1-1 झारखंड आंदोलनकारियों का योगदान जबरदस्त रहा है। जिनकी पहचान सुनिश्चित ना होना अलग राज्य के लिए एक बहुत बड़ी विडंबना है।

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