रांची: भाषा विज्ञान की बारीकियों पर विशेषज्ञों ने रखे विचार, रिफ्रेशर कोर्स का समापन

♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: रांची विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडीसी में भाषा विज्ञान विषय पर 14 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स का शुक्रवार को समापन हो गया। ऑनलाइन चल रहे इस रिफ्रेशर कोर्स में कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के भाषा विज्ञान विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।  रांची वीमेंस काॅलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ पूनम सहाय भाषा विज्ञान पर आयोजित इस रिफ्रेशर कोर्स की कोर्स समन्वयक हैं। रिफ्रेशर कोर्स में काठमाण्डू विश्वविद्यालय के प्रो जयराम अवस्थी ने अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान के वर्तमान संदर्भ और इस इसके प्रचलन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। इसमें भाषागत मानवीय व्यवहार की प्रकृति उसकी परिवर्तनशीलता, भाषा व्यवहार की विशिष्टता, नृवैज्ञानिकता जैसे समस्त पक्ष की विवेचना और विश्लेषण का आधार कैसे बनती हैं इस पर विस्तार से प्रकाश डाला।
आई. एस. आई. कलकत्ता के भाषाविद डॉ. निलाद्री दास ने “बोली विज्ञान” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया । जिसमें “बोली विज्ञान” अध्ययन-अध्यापन की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला गया। ।
उद्घाटन व्याख्यान में यूनिवर्सिटी आफ हैदराबाद लिंग्विस्टिक सोसाईटी आफ इडिया के पूर्व अध्यक्ष जानेमाने भाषाविद प्रो. पंचानन मोहंती ने मातृभाषा के संदर्भ को स्पष्ट करते हुए भाषा और बोली के संदर्भ में भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होने भारत की जनगणना 2011 में दिए गये आंकडों को सबके सामने रखते हुए भारत में बहुभाषिक समाज की भूमिका को समझाया। दूसरे सत्र में प्रो. बिश्वेशर पट्टनायक द्वारा भाषा कौशल और उसके विभिन्न पक्षों पर विचार रखा गया।
आईआईटी चेन्नई के प्रो. एस. धनेवाल ने द्वितीय भाषा शिक्षण के विभिन्न पहलुओं को समझाते हुए उसके लिए संगीत और कविताओं की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
सीआईएल मैसूर के पूर्व निदेशक अवधेश मिश्रा , हैदराबाद ईएफएलयू की प्रो. सुवर्णा लक्ष्मी ने भी अपने विचार रखे। राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित प्रो. चंद्रकांत शुक्ल ने अपने भाषण में वैदिक संस्कृत परंपरा और व्याकरण तथा हिन्दी के विकास को सहजता से रखा। 14 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स में हर दिन भाषा विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचारों को साझा किया।
इससे पहले रिफ्रेशर कोर्स का उदघाटन राँची वि. वि. की प्रति कुलपति प्रो. कामिनी कुमार ने किया। केंद्र के निदेशक प्रो. ज्योति कुमार ने कार्यक्रम की रुपरेखा को बताया। कोर्स समन्वयक डॉ. पूनम निगम सहाय ने विभिन्न विश्वविद्यालयों से शामिल हुए सभी 42 प्रतिभागियों का स्वागत और संचालन किया

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