रांची : झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि झारखंड मत्स्य बीज और मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा। मुख्य सचिव मंगलवार को मत्स्य एवं मुर्गीपालन के संबंध में आहूत बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिला के मत्स्य पदाधिकारियों को निदेश दे रही थी। राज्य में मत्स्य पालन और मत्स्य बीज के लिए बड़ी वाटर बॉडी की सूची तैयार करने और बीजों की आवश्यकता जानने के लिए इसकी मैपिंग भी सुनिश्चित करने के का आदेश दिया। साथ ही अगले वित्तीय वर्ष में हैचरी निर्माण पर जोर देते हुए स्थान चिन्ह्ति करने को कहा। गौरतलब है कि 2016-17 में करीब 65 हैचरी का निर्माण किया जा रहा है जो अप्रैल माह में पूर्ण हो जायेगा। प्रत्येक हैचरी में 5-7 करोड बीज का उत्पादन होता है। उन्होंने आरएफएफ( रिवर फिश फार्मिंग ) की संस्कृति को 2016-17 की तुलना में तीन गुणा करने तथा लाभुकों को आरएफएफ की सुरक्षा एंव मछली उत्पादन के लिए कैंप एवं प्रशिक्षण केन्द्र के साथ साथ एसओपी के माध्यम से जानकारी मुहैया कराने का आदेश दिया।
मुर्गीपालन को बढ़ावा जोर
मुर्गीपालन को बढ़ावा देने के लिये समूह बनाकर कार्य करने, गु्रप का चयन कर उन्हें स्टैंड अप इंडिया के तहत लोन उपलब्घ कराने कि लिए विभाग से कार्ययोजना की मांग की। उन्होंने कहा कि अंडा उत्पादन के लिये वर्ष 2017-18 में 12 करोड़ उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कार्य योजना तैयार कर ब्रीडर फॉर्म को उसी के अनुरूप बनाने के लिए कहा। साथ ही निदेशित किया गया कि जाल निर्माण के लिये ईओआई ( एक्सेप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) के तहत जाल निर्माण का कारखाना खोला जाये तथा ईओआई के तहत जिन कंपनियों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं उनसे संपर्क कर जमीन चिन्ह्ति करें। कहा कि इन कारखानों को लघु उद्योगों के तहत दी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। विभाग ने जानकारी दी कि झारफ्रेश के लिये लोगो तैयार किया जा चुका है तथा 15 अप्रैल से रांची, जमशेदपुर, बोकारो तथा धनबाद में लाइव फिश तथा रेडी-टू-कुक पैटर्न पर शुरू किया जायेगा। साथ ही इन्सुलेटेड वैन के लिए बजटीय प्रावधान किया गया है। बैठक में सचिव कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग श्रीमती पूजा सिंघल सहित कई पदाधिकारीगण उपस्थित थे।