रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि नृत्य, संगीत हमारी संस्कृति की पहचान है। सरकार हर गांव में अखड़ा बनायेगी। यहां लोग न केवल अपनी संस्कृति की पहचान बरकरार रख सकेंगे, बल्कि मनोरंजन भी कर पायेंगे। प्रत्येक वर्ष यहां प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जायेगा। इसके बाद पंचायत स्तर, प्रखंड
स्तर, जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं होंगी। इनमें चयनित कलाकारों को जनजातीय संस्कृति मेला के नाम से मोरहाबादी में तीन दिन की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया जायेगा। इस मेला के आयोजन से हमारी संस्कृति की पहचान पूरी दुनिया में हो सकेगी। मुख्यमंत्री बुधवार को रांची विश्वविद्यालय में सरहुल मिलन समारोह में लोगों को संबोधितकर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया आदिवासी संस्कृति, उनकी परम्परा, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, लोक-कला, लोक-गीत एवं लोक-नृत्य इत्यादि के विषय में जानना चाहती है। इसमें शोध संस्थान एवं तीन दिवसीय जनजातीय संस्कृति मेला अहम भूमिका अदा कर सकता है। मेला के आयोजन से टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। विदेशी पर्यटकों के आने से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी। दास ने कहा कि विकास के लिए शोध जरूरी है। हमारे यहां शोध पर खर्च करने की परंपरा कम रही है। हमारी सरकार ने शोध की महत्ता को देखते हुए शोध संस्थानों को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाये हैं। शोध से न केवल हम अपने अतीत के बारे में बल्कि भविष्य की भी तैयारी
कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि शोध के लिए दूसरे राज्यों में जाने वाले छात्रों को भी सरकार मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि रिक्तियां सहित अन्य लम्बित मामलों पर कार्रवाई करने का निर्देश उच्च शिक्षा सचिव को दिया गया है। समारोह में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पाण्डेय, रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी, विवि के विकास पदाधिकारी डॉ हरि उरांव, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ टीएन साहु सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं काफी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।