सीआरपीएफ जवान राकेश्वर नक्सलियों की कैद से हुए मुक्त

रायपुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के तर्रेम में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान अगवा किए गए कोबरा के जवान राकेश्वर सिंह मनहास को गुरुवार को नक्सलियों की कैद से मुक्त करा लिया गया। जवान मनहास छह दिनों तक नक्सलियों की कैद में रहे। कैद से रिहा होने के बाद उन्होंने इन छह दिनों की कहानी संक्षेप में बताई। राकेश्वर सिंह मनहास ने कहा कि तीन अप्रैल को मुठभेड़ के दौरान वह नक्सलियों के बीच घिर गए थे।उन्होंने बताया नक्सलियों ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था। समर्पण करने के बाद उनको कहां-कहां ले जाया गया उनको इसकी जानकारी नहीं है। स्थान बदलने के दौरान उनकी आंख पर पट्टी बांध दी जाती थी।
नक्सली स्थानीय बोली में बात कर रहे थे। उनकी भाषा उन्हें समझ नहीं आ रही थी। नक्सलियों ने मनहास को पकड़ने के बाद पर्चा जारी करके राज्य सरकार से इस मामले में मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की थी। सूत्र बताते हैं कि बस्तर के वयोवृद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के प्रमुख मुरैया तरेम कुछ स्थानीय लोगों के साथ जंगल गए थे।
वहां बातचीत के बाद नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर जवान को रिहा किया। जवान राकेश्वर सिंह मनहास को बाइक से तर्रेम कैंप लाकर सीआरपीएफ के डीआइजी कोमल सिंह को सौंपा गया। नक्सलियों की पामेड़ एरिया कमेटी ने गुरुवार को टेकलमेटा गांव के पास जंगल में 20 गांवों से आदिवासियों को बुलाकर जनअदालत लगाई। भारी भीड़ के बीच नक्सलियों ने जवान को मुठभेड़ के छठे दिन धर्मपाल सैनी के हवाले किया।
गौरतलब है कि तीन अप्रैल को टेकलगुड़ा-जोनागुड़ा गांव के पास सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए थे जबकि 30 से अधिक घायल हुए।

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