•अमिताभ कांत•
भारत डिजिटल भुगतान और लेस-कैश अर्थव्यवस्था के लिए एक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। यह देखते हुए कि हमारी जनसंख्या का कुछ प्रतिशत हिस्सा ही कर का भुगतान करता है, इसलिए यदि बैंकिंग और कर प्रणाली अधिक-से-अधिक डिजिटल भुगतान के माध्यम से भुगतान करती हैं तो इससे देश की अर्थव्यवस्था में बेहतरी आयेगी। इसके अलावा सार्वजनिक जीवन और शासन में भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण नकदी में लेन-देन होना भी है। इसलिए एक
लेस-कैश समाज की तरफ बढ़ते हुए इससे भ्रष्टाचार को दूर करने में मदद मिलेगी और नकदी के प्रयोग पर रोक लगेगी। इसके अलावा नकदी का मुद्रण और इसका वितरण भी बेहद खर्चीला है।उपभोक्ताओं को भी लेस-कैश के कई लाभ हैं। एक रुपये से लेकर किसी भी राशि के लिए अब बिना कैश के डिजिटल भुगतान किया जा सकता है। हम 24 घंटे डिजिटल लेन-देन कर सकते हैं यहां तक कि छुट्टियों के दौरान भी।
कई कदम उठाए गये
उपभोक्ताओं के लिए कई कदमों की घोषणा की गई है जिनमें ईंधन खरीद पर छूट, बीमा प्रीमियम, सेवाकर में छूट और कैश बेक आदि शामिल हैं। डिजिटल भुगतान के माध्यमों में सुधार किया गया है जो बहुत ही सुरक्षित, तेज और ग्राहकों के अनुकूल हैं। भीम एप और यूएसएसडी जैसे डिजिटल भुगतान के माध्यमों की शुरुआत की गई है। डिजिटल भुगतान पर एमडीआर और अन्य लेन-देन शुल्कों को युक्ति संगत बनाया जा रहा है और जल्द ही लेन-देन के लिए शुल्क अदायगी की एक नई व्यवस्था बनाई जायेगी, जो उच्च मात्रा और कम शुल्कों पर आधारित होगी। छोटे और ग्रामीण व्यापारियों के लिए विशेष उपाय किये जा रहे हैं। स्टेट बैंक ने इस तरह के टर्मिनलों पर होने वाले लेन-देन के लिए एमडीआर शुल्कों पर कोई कर नहीं लगाने का प्रस्ताव दिया है।
प्रत्येक के लिए समाधान
भारत की आबादी की विशाल विविधता को देखते हुए सरकार ने विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग विकल्पों को विकसित किया है। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए भीम (यूपीआई) और ई-वॉलेट जैसे डिजिटल माध्यमों का प्रयोग करने के लिए एक स्मार्ट फोन का होना जरूरी है। यूएसएसडी जो किसी भी मोबाइल में जीएसएम नेटवर्क के साथ बगैर इंटरनेट के काम कर सकता है, वह लगभग उस 61 फीसदी जनसंख्या को कवर करता है जो केवल सामान्य फीचर वाला फोन इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा हमारे देश में 78 करोड़ डेबिट कार्ड और एक अरब से ज्यादा आधार नंबर (40 करोड़ बैंक खातों को पहले ही आधार से जोड़ा जा चुका है) हैं। इन उपभोक्ताओं के लिए मोबाइल फोन और बिना मोबाइल फोन के जरिये एईपीएस और पीओएस समाधान की व्यवस्था की गई है। वरिष्ठ नागरिकों और अशिक्षित लोगों को इससे जोड़ने के लिए हमारे पास बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट मॉडल है जो ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करेगा जहां बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट जाकर वित्तीय सेवाओं का विस्तार करने में मदद करेंगे।
यूएसएसडी को दुरुस्त करना
यूएसएसडी एक टेलीकॉम माध्यम है जो आपको विभिन्न भुगतानों के लिए एक साधारण फोन कॉल के जरिये आपके बैंक के साथ सीधा संवाद स्थापित करता है। इसके लिए किसी इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत नहीं है। इसके माध्यम से आप आसान तरीके से अपने प्रीपेड फोन की बकाया राशि को जांच सकते हैं। यूएसएसडी को दुरुस्त कर इसे यूपीआई प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया गया है। इसलिए कोई भी फीचर फोन (जो भीम एप इंस्टाल करने में असमर्थ है) भीम एप का प्रयोग करके किसी भी स्मार्ट फोन (एक बैंक खाते के साथ जुड़ा हुआ हो) में पैसे का लेन-देन कर सकता है। इस सुविधा से यूएसएसडी और यूपीआई जैसे मंचों द्वारा लेन-देन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
इमरजेंसी रिस्पांस टीम का गठन
सरकार ने पहले ही डिजिटल भुगतान में सुरक्षा संबंधी मुद्दों की देख-रेख के लिए एक समिति का गठन किया है। भारत में कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) नाम की एक अलग डिजिटल पेमेंट्स डिवीजन का गठन किया गया है। सभी एनपीसीआई प्रणालियों की सुरक्षा ऑडिट में आवश्यक सुधार शुरू कर दिये गये हैं। डिजिटल माध्यम से किये गये सभी भुगतान उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत आते हैं। लेकिन किसी भी विवाद की स्थिति में उपभोक्ता फोरम से संपर्क करने से पहले यह सलाह दी जाती है कि संबंधित बैंक से संपर्क करें। डिजिटल माध्यम से होने वाले सभी भुगतानों का ब्यौरा रखा जा रहा है, ऐसे में बैंकों के लिए विवादित लेन-देन की सच्चाई को स्थापित करना बहुत आसान हो गया है।
लेखक भारत सरकार के नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) अधिकारी हैं।