♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत डोरंडा काॅलेज में संविदा पर नियुक्त कुडूख भाषा की सहायक प्रोफेसर जानकी कुमारी की करोना संक्रमण से हो गयी। उन्हें पिछले 15 महीने से मानदेय का भी भुगतान नहीं हो रहा था। उनकी मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए झारखण्ड सहायक प्राध्यापक (अनु.) संघ, राँची विश्वविद्यालय इकाई के उपाध्यक्ष डॉ. रीझू नायक ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इसके लिये दोषी ठहराते हुए कहा कि हम सभी से ऑनलाइन, ऑफलाइन क्लास, प्रश्न पत्र सेटिंग, परीक्षा लेना, उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन आदि जैसे कार्य कराये जाते हैं लेकिन उसके एवज में उचित सम्मान नहीं मिल पाता।
मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल सह कुलाधिपति से आग्रह किया गया है कि वैश्विक महामारी के दौर में संविदा सहायक प्राध्यापकों को तय समय पर मानदेय दिलाने के लिए दखल दें।
डॉ नायक ने कहा कि संविदा सहायक प्राध्यापक के आने से उच्च शिक्षा में गुणात्मक विकास के साथ विद्यार्थियों के नामांकन अनुपात में भ बढ़ोतरी हुई है।वैश्विक महामारी के विकट समय में विगत 15 महिनें से मानदेय लम्बित रखना कहीं से न्याय संगत नहीं है। सहायक प्राध्यापक दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर कोरोना महामारी का दंश, दूसरी तरफ लम्बे समय से मानदेय का ना मिलना।
गौरतलब है कि सहायक प्रोफेसर जानकी कुमारी से पूर्व सिमडेगा कॉलेज की शांता बेसरा की भी मौत कोरोना महामारी से हो गयी थी। डॉ रीझू ने बताया कि टीआरएल में विगत 32 महीने से भीे अधिक समय से मानदेय लम्बित पडा हुआ है।
डॉ. नायक ने राज्य सरकार से मांग किया कि शांता बेसरा एवं जानकी कुमारी के परिजनों को पच्चास-पच्चास लाख की क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि एवं आश्रितों को नौकरी दी जाय। उनके दो बच्चे भी अनाथ
हो गये हैं ।