♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: झारखंड हाईकोर्ट द्वारा छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट को रद्द किये जाने के बाद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने इसे राज्य की मौजूदा हेमंत सरकार की विफलता बताया है।
उन्होंने राज्य की झामुमो-कांग्रेस सरकार की नाकामी का दस्तावेज और सरकार के नियुक्ति वर्ष (2021) की घोषणा की फजीहत बताया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि खतियान के आधार पर नियोजन नीति बनाने का झूठा वादा कर सत्ता में आई झामुमो-कांग्रेस सरकार ने उनकी सरकार (पूर्ववर्ती रघुवर सरकार) द्वारा आदिवासियों-मूलवासियों के लिए बनाई गई हितकारी नियोजन नीति को नहीं बचा सकी। नई नियोजन नीति बनाने के लिए कुछ नहीं किया। सरकार ने वर्ष 2021 में नियुक्ति वर्ष घोषित किया था, लेकिन सरकार के निक्कमेपन की वजह से कई नियुक्तियां खत्म होने जा रही है।
रघुवर दास ने कहा कि जानकारी के अनुसार पेपर-1, जो हिन्दी-अंग्रेजी का पत्र था, उसके अंक मेरिट के अंक में जोड़ दिए गए। इससे झारखंड के हिंदी भाषी/मूलवासी लोगों को नुकसान हुआ। न्यायालय ने सरकार की इस गलती को पकड़कर हिंदी भाषी/मूलभाषी अभ्यर्थियों के साथ होने वाले अन्याय से बचा लिया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा मेरिट लिस्ट की गड़बड़यिों को दूर कर नई मेरिट लिस्ट बनाने का जो निर्देश दिया गया है, उसकी वजह से कई सफल अभ्यर्थी बाहर हो सकते हैं और कई नवनियुक्त अधिकारियों की नौकरी खत्म हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने न्यायालय द्वारा दोषियों को चिह्नित कर कार्रवाई करने के आदेश का स्वागत किया है। रघुवर दास ने कहा कि सरकार इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच क्यों नहीं करवा लेती है ताकि यह पता चले कि इन गलतियों/गड़बड़ियों के पीछे किसका फायदा निहित था।