झारखंड के खूंटी जिले के रनिया प्रखंड के चुरदाग नदी टोला इलाके में एक आदिवासी परिवार पर गरीबी का पहरा बैठा हुआ है। सरकारी योजना से जुड़े होने के बावजूद मीना होरो के पास खाने के लिए अनाज नहीं हैं। सरकार की ओर से मिलने वाला अनाज खपत की तुलना में कम है। उज्ज्वला योजना से मिला एलपीजी सिलेंडर भी है, लेकिन वह खाली है और पैसे है नहीं कि उसे भरवाया जा सके। लकड़ी के चूल्हे भी बारिश की वजह से नहीं जल रहे हैं। मजबूरन यह परिवार कटहल खाकर तंगहाली की जिंदगी जी रहा है।
♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: गरीबी के सामने हसरतें बेलिबास होती हैं। गरीबी देखकर कलेजा तो आपका भी फट जाएगा। गरीबी से परेशां बच्चे भी जिंदगी के सबक को सीख गये,तभी तो अब बात-बात पर वे अपनी लाचार-मजबूर मां से जिद नहीं करते और पिता कमाने के लिए कहीं दूर रहते हैं, लेकिन फिलहाल इस परिवार के पास पैसे नहीं हैं,घर भी नहीं हैं। दरअसल गरीबी आसमान के नीचे झोपड़ी में रहने के लिए उन्हें विवश कर रही है। झारखंड के खूंटी जिले के रनिया प्रखंड के चुरदाग नदी टोला इलाके में एक आदिवासी परिवार पर गरीबी का पहरा बैठा हुआ है। सरकारी योजना से जुड़े होने के बावजूद मीना होरो के पास खाने के लिए अनाज नहीं हैं। सरकार की ओर से मिलने वाला अनाज खपत की तुलना में कम है। उज्ज्वला योजना से मिला एलपीजी सिलेंडर भी है, लेकिन वह खाली है और पैसे है नहीं कि उसे भरवाया जा सके। लकड़ी के चूल्हे भी बारिश की वजह से नहीं जल रहे हैं। मजबूरन यह परिवार कटहल खाकर जिंदगी की परीक्षा दे रहा है। मीना होरो के साथ उसके तीन छोटे-छोटे बच्चे रहते हैं। इन बच्चों की उम्र 2 वर्ष, 8वर्ष और 12 वर्ष है। इन बच्चों की मां मीना कहती है कि वह पहले गांव के ही एक मकान में रहती थी, लेकिन यह मकान उसे छोड़ना पड़ा। पैसे नहीं थे कि अपना घर बना सकें। गांव के ही कुछ युवकों के सहयोग से महुआ पेड़ के नीचे किसी तरह झोपड़ी बनाया गया, जो अब उसके रहने का ठिकाना है। मीना की गरीबी के किस्से सुनकर झामुमो के जिला अध्यक्ष जुबैर अहमद के अलावा सुदीप गुड़िया और सौदे पंचायत की मुखिया सोशांति डाॅग वहां पहुंची। गरीब परिवार को तत्काल चावल दिये गये। भरोसा दिलाया गया कि शासन-प्रशासन से मदद दिलायी जाएगाी। गरीबी की पीड़ा झेल रही मीना होरो के परिवार को तत्काल मदद की जरूरत है, ताकि बारिश के दिनों में अन्य बीमारियों से इस परिवार को बचाया जा सके।