धनबाद में जज की संदेहास्पद मौत पर हाईकोर्ट सख्त, स्वतः संज्ञान लेकर हुई सुनवाई, जांच की मॉनिटरिंग, पूछे कई तीखे सवाल

♦Laharnews.com Correspondent♦
धनबाद के एडीजे -8 उत्तम आनंद की संदेहास्पद मौत के बाद पूरा देश मर्माहत है। सुप्रीम कोर्ट ने भी आज इस मामले की जानकारी ली है। झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने इस पर कड़ी टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट ने कहा कुछ दिन पहले एक वकील की हत्या होती है। कल जज की मौत संदेहास्पद तरीके से हो गयी। कुछ दिन पहले एक पुलिस अधिकारी की भी मौत संदेह के घेरे में है। राज्य में यह क्या हो रहा है। इससे प्रतीत होता है कि राज्य में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। स्थिति बदतर हो चुकी है। अब न्यायिक सिस्टम पर भी हमला होने लगा है। जिस समय राज्य में नक्सली प्रभाव ज्यादा था, उस समय भी जज पर हमले नहीं हुए। अब अपराधी जज को भी निशाना बनाने लगे हैं। यह गंभीर मामला है। पुलिस और सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा।

हाईकोर्ट करेगा मॉनिटरिंग
कोर्ट ने कहा हाईकोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग करेगा। जांच में थोड़ी भी कोताही बरती गयी तो मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी। जज की दुर्घटना में मौत के बाद धनबाद के जिला जज ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी थी। इस पत्र को जनहित याचिका में तब्दील कर कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने डीजीपी और धनबाद के एसएसपी को हाजिर रहने को भी कहा था। दोनों अधिकारी हाजिर भी हुए।

एसएसपी घटना का समय अलग-अलग बताते रहे
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसएसपी से कई सवाल किए। कोर्ट ने घटना का समय, उन्हें कितने बजे सूचना मिली और कई सवाल किए। एसएसपी घटना का समय अलग-अलग बताते रहे। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि घटना के काफी देर बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी। आखिर प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब क्यों किया गया। एसएसपी का जवाब भी अलग-अलग आ रहा है। जब एसएसपी खुद कंफीडेंट नहीं हैं, तो प्रोफेशनल तरीके से जांच कैसे होगी? इस पर डीजीपी ने कहा कि इस मामले की प्रोफेशनल जांच की जाएगी। जांच में कोई कमी नहीं रहेगी। मामले की तह तक पहुंचा जाएगा और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य की पुलिस को प्रोफेशनल होना होगा। सिस्टम में सुधार करना होगा। अनुसंधान और विधि व्यवस्था का अलग-अलग विंग बनाना होगा। अदालत ने कहा कि इस मामले में अनुसंधान, अभियोजन और ट्रायल सही तरीके से होना चाहिए। ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

सुप्रीम कोर्ट में भी उठा मामला
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिववक्ता विकास सिंह भी शामिल हुए। हाईकोर्ट ने उन्हें शामिल होने की अनुमति दी थी। वरीय अधिवक्ता विकास सिंह ने अदालत को बताया कि हालात बता रहे हैं कि यह दुर्घटना और हिट एंड रन का मामला नहीं है। यह न्यायपालिका पर हमला है। देश में यह पहला मामला है, जब किसी जज की ऐसी परिस्थिति में मौत हुई हो। उन्होंने हाईकोर्ट से इस मामले की सीबीआई की जांच कराने का आग्रह किया। विकास सिंह ने अदालत को बताया कि जज के मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी बार एसोसिएशन ने उठाया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जतायी है।

कोर्ट ने तीन बार वीडियो फुटेज देखा

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दुर्घटना का फुटेज देखा और एसएसपी से सवाल किया। कोर्ट ने कहा वीडियो से स्पष्ट है कि ऑटो में अगली सीट पर दो लोग सवार थे। ऑटो के आगे एक बाइक भी जा रही है। बाइक की स्पीड भी दुर्घटना के पूर्व धीमी हुई थी। क्या बाइक का नंबर लिया गया है। क्या इसे भी जांच की कड़ी में शामिल किया गया है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। पीछे से किसी को टक्कर लगे तो वह आदमी आगे की ओर गिरता है। लेकिन मृतक आगे की ओर नहीं गिरा है। इससे दुर्घटना पर संदेह होता है। क्या पुलिस ने इन बिंदुओं पर जांच शुरू की है।

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