रांची वीमेंस कॉलेज में वेबीनार, वक्ताओं ने कहा- देश की उन्नति के लिए हिन्दी जरुरी

♦Laharnews.com Correspondent♦ 

   रांची : हिंदी दिवस के अवसर पर रांची वीमेंस कॉलेज हिंदी विभाग की ओर से आईक्यूएसी के सहयोग से एक वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार का विषय “वर्तमान परिदृश्य में हिंदी की दशा और दिशा“था। वेबीनार में शामिल प्राचार्या डॉ. शमशुन नेहार ने कहा कि हिंदी दिवस आते ही हिंदी के नाम पर आत्म-गौरव का बोध होने लगता है। देखने की जरूरत है कि दूसरी भारतीय भाषाओं की तुलना में हिंदी पर संकट ज्यादा है उससे कैसे निपटा जाए। मुख्य संकट यह है कि हिंदी की ज्ञान- परंपरा को संकुचित किया जा रहा है। इसे उसकी उस ज्ञान-परंपरा से काटा जा रहा है, जिसका निर्माण संस्कृत साहित्य के साथ-साथ लोकभाषाओं, संतों- सूफियों- भक्ति आंदोलन तथा नवजागरण ने किया है। भारतेंदु, प्रेमचंद, प्रसाद, निराला, महादेवी, अज्ञेय, नागार्जुन, रामविलास शर्मा, राही मासूम रजा जैसे लेखकों ने किया है। इन दिनों इस विरासत को नकारने या उपेक्षा करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।
आईक्यूएसी की कोऑर्डिनेटर डॉ शिप्रा कुमारी ने कहा कि हिंदी लगभग 55 करोड़ लोगों की भाषा है और लगभग 1200 सालों के विकासों की देन है। इसे भारतीय संस्कृति तथा ज्ञान भंडार से अलग नहीं किया जा सकता। कार्यक्रम का संचालन डॉ किरण तिवारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ कुमारी उर्वशी ने किया।
अरुणाचल प्रदेश से आमंत्रित सम्मानित वक्ता श्रीमती मोर्जुम लोयी ने अरुणाचल प्रदेश में हिंदी की स्थिति से अवगत कराया रोचक अंदाज में उन्होंने फिल्मों के उदाहरण दिए। डॉ रचना आनंद गौर ने कहा कि हिंदी विश्व भाषा बनने के लिए अग्रसर है विश्व के कई देश हिंदी पत्रिकाएं निकाल रहे हैं। रणेंद्र, (सेवानिवृत्त आईएएस ,पूर्व सचिव ,झारखंड लोक सेवा आयोग एवं हिंदी के जाने-माने कथाकार ) ने अपने आसपास मौजूद लोगों के व्यावहारिक अनुभव से अपनी हिंदी की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट किया। डॉ कृष्ण कुमार सिंह ने अपने देश में हिंदी की स्थिति के इतिहास और वर्तमान पर प्रकाश डाला और नई शिक्षा नीति में हिंदी की अच्छी स्थिति पर विचार प्रकट किया। रांची विवि के पूर्व संकाय अध्यक्ष डॉ वी वी एन पांडेय ने कहा- भारत की दशा सुधारने के लिए हिंदी भाषा की उन्नति आवश्यक है ।

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