रांची विवि के टीआरएल विभाग में 10वीं पुण्यतिथि पर याद किये गये पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा

♦Laharnews.com Correspondent♦

   रांची : रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में आज पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की 10वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया गया। विभाग के प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं एवं छात्रों ने डॉ मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। संचालन प्राध्यापक किशोर सुरीन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सरस्वती गागराई ने किया।
महान व्यक्ति थे डॉ रामदयाल मुंडा : डॉ हरि उरांव
अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ हरि उराँव ने कहा- बहुमुखी प्रतिभा के धनी पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा जैसे महान व्यक्ति का सानिध्य मिलना सौभाग्य की बात है। झारखंड की जो परिकल्पना उन्होंने की थी आज उनकी वह परिकल्पना साकार रूप ले रही है। उन्होंने कहा कि डॉ मुंडा जी की परिकल्पना थी कि झारखंड के प्रत्येक शिक्षण संस्थान में एक अखड़ा हो, जिससे यहां की युवा पीढ़ी का अपनी संस्कृति से जुड़ाव हो। उन्होंने कहा कि डॉ मुंडा ने झारखंड में सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक क्रांति का बिगुल फूंका था।
बेहतरीन शिक्षक थे : डॉ यूएन तिवारी
विषय प्रवेश कराते हुए प्राध्यापक डॉ उमेश नन्द तिवारी ने एक छात्र के रूप अपने गुरु डॉ मुंडा के सानिध्य में बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि वे एक बेहतरीन शिक्षक थे। उन्होंने पूरे झारखंड को एक सूत्र में बांधने का काम किया। समन्वय की संस्कृति को प्रगाढ़ किया। डॉ मुंडा किसी जाति, धर्म, समुदाय के बारे में नहीं बल्कि पूरे देश और झारखंड कल्याण की बात करते थे।
झारखंड को एकसूत्र में बांधा : करम सिंह
प्राध्यापक करम सिंह मुंडा ने कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा महान व्यक्तित्व के धनी थे। पूरे झारखंड के लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम किया। वह हम युवाओं के लिए आदेर्श हैं।
डॉ मुंडा के जीवन से मिलती है प्रेरणा : डॉ दमयन्ती
प्राध्यापक डॉ दमयन्ती सिंकु ने कहा कि डॉ मुण्डा सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक संस्थान थे। ’जे नाची से बांची’ का मूलमंत्र देने वाले ऐसे महामानव के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है।
प्रेरणा के स्रोत बनें रहेंगे : लक्ष्मण टूटी
लक्ष्मण टूटी ने डॉ मुंडा के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वे हमेशा हम सबों के लिए एक प्रेरणा के स्रोत के रूप में सदा अमर रहेंगे।
बौद्धिक विचारकों में से एक थे : युगेश
युगेश प्रजापति ने कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा झारखंड आंदोलन के प्रमुख बौद्धिक विचारकों में से एक थे।
इनकी रही मौजूदगी
इस मौके पर प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, शकुन्तला बेसरा, धीरज उराँव, मानिक कुमार, रचना होरो, पप्पू बांडों, धरमा मुण्डा के अलावा अन्य सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र छात्राएँ मौजूद थे।

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