♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के पद्मश्री डाक्टर रामदयाल मुंडा अखड़ा में मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया। मौके पर कक्षा 6, 7 एवं 8 के लिए कुँड़ुख भाषा में प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा, मातृभाषा को बचाने के लिये हमें अपनी संस्कृति को बचाना होगा। जिस समाज में मातृभाषा का विकास नहीं हुआ, वह समाज और क्षेत्र तमाम संसाधनों के बावजूद भी कभी विकास नहीं कर पाया। हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिये।
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र समन्वयक के डॉ हरि उराँव ने कहा कि हमें अपनी भाषा चौलेंज के रूप में लेना होगा। क्योंकि जिस समाज की अपनी मातृभाषा और अपनी संस्कृति नहीं होती है उस समाज की अपनी कोई पहचान नहीं होती है। मातृभाषा भाषा माँ के दूध के समान होता है। इसके बिना हमारा कोई भी अस्तित्व नहीं।
रांची विवि के कुलानुशासक ने कहा – भाषाएं अपने समाज की प्रतिबिम्ब होती है। नागपुरी भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने भाषा को मां की संज्ञा देते हुए कहा- इसकी रक्षा का दायित्व हम सबों का है। भाषा के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है।
संचालन प्राध्यापक किशोर सुरीन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ दमयन्ती सिंकू ने किया।
मातृभाषा दिवस पर बंशीलाल याद किये गये
मातृभाषा दिवस पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भासा विभाग में आयोजित समारोह में खोरठा के दिवंगत साहित्यकार बंशी लाल बंशी को भावभीनी श्रद्धांजली दी गई और उनके प्रति शोक संवेदना प्रकट की गई। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस समारोह के अंत में खोरठा विभाग प्राध्यापक दिनेश कुमार दिनमणि के द्वारा शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया । इस क्रम में बंशी लाल के खोरठा भाषा साहित्य के विकास में किये गये योगदान की चर्चा की गयी।