रांची :विकास आयुक्त व वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित खरे ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल बजटीय उपबंध की 94 फीसदी राशि का उपयोग हो चुका है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में किये जाने वाले विकास कार्यो के संबंध में विभागों के सचिवों व प्रधान सचिवों के साथ शुक्रवार को वह समीक्षा बैठक कर थे। श्री खरे ने निर्देश दिया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2017-18 में इस गति को आरम्भ से ही बनाए रखें। उन्होंने योजना एवं गैर योजना का वर्गीकरण समाप्त कर दिए जाने के कारण समीक्षात्मक बैठकों के स्वरूप में हुए परिवर्तन से अवगत कराते हुए राजस्व एवं पूँजीगत व्यय के वर्गीकरण के अनुरूप प्रगति रिपोर्ट विभाग को देने का निर्देश दिया है।
विकास आयुक्त ने जानकारी दी कि वर्त्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट अभिभाषण में किए गए कुल 142 घोषणाओं के विरूद्ध अप्रैल, 2017 के प्रथम सप्ताह में ही 25 घोषणाएँ पूर्ण की जा चुकी है। विशेष रूप से ‘‘मुख्यमंत्री आदिम जनजाति खाद्यान्न सुरक्षा योजना’’ तीन अप्रैल, 2017 से लागू हो चुकी है एवं 1,00,000 सखी मंडलों को स्मार्ट फोन देने की योजना का आरंभ भी छह अप्रैल को प्रधानमंत्री के साहेबगंज दौरे में किया गया है।
21 को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की बैठक पटना में
उन्होंने 21 अप्रैल को पटना में आयोजित 22वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की बैठक की तैयारी के क्रम में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग, कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, उद्योग, खान एवं भूतत्व विभाग, गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग एवं वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को निर्देश दिया कि राज्यहित में बिहार एवं झारखण्ड के बीच आस्तियों एवं दायित्वों के बंटवारे के बिन्दुओं पर पूरी तैयारी से शामिल हों।
महालेखाकार ऑडिट रिपोर्ट पर निर्देश
महालेखाकार, झारखण्ड के समक्ष लंबित 5,524 करोड़ रुपये के डीसी विपत्रों की विभागवार समीक्षा की गई, जिसमें सर्वाधिक 1,536 करोड़ रुपये ग्रामीण विकास विभाग एवं 903 करोड़ रुपये कल्याण विभाग के अन्तर्गत लंबित पाए गए। सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया गया कि अभी वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ के तीन माह में इनका समायोजन करा लिया जाना चाहिए। महालेखाकार ऑडिट के संबंध में लंबित अंकेक्षण कंडिकाओं की समीक्षा के क्रम में यह पाया गया कि ऊर्जा, कल्याण, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन आदि विभागों के अन्तर्गत सर्वाधिक लंबित मामले अवशेष हैं। सभी प्रशासी विभागों को निर्देशित किया गया कि लंबित ऑडिट कंडिकाओं का अनुपालन अगले तीन माह में हो जाना चाहिए।