♦Dr. BIRENDRA KUMAR MAHTO♦
रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो. डॉ त्रिवेणी नाथ साहु को नागपुरी भाषा विभाग के छात्रों एवं शोधकर्ताओं की ओर से सम्मानित किया गया। इससे पहले भी पिछले दिनों प्रो साहु को लोक सेवा समिति के द्वारा नागपुरी भाषा साहित्य के क्षेत्र में किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए झारखंड रत्न-2022 से सम्मानित किया गया था। प्रो. साहु विदेशी भाषा वैज्ञानिकों को झारखंड की भाषाओं में शोध करने के लिए भी प्रोत्साहित करने रहे हैं और इसके बेहतर नतीजे भी सामने आ रहे हैं। इस वजह से विदेशों में भी झारखंड की भाषाओं की चर्चा हो रही है और शोध किये जा रहे हैं।
सम्मान समारोह में डॉ साहु ने कहा कि यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि माँय माटी का सम्मान है। सम्मान मिलने से समाज के नये साहित्यकारों व लेखकों का मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कहा कि भाषा है तो हम और आप हैं अन्यथा हम सबों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। इसलिए अपनी भाषा में बोलना, पढ़ना और लिखना चाहिये जिससे कि हमारा साहित्य समृद्ध हो सके। आने वाले पीढ़ी अपने इतिहास को जान व समझ सकें।
प्रो साहु के दिशा-निर्देशन में दर्जनों शोध छात्रों को पीएचडी की डिग्री भी हासिल हुई। उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर रह कर शिक्षा को एक नया आयाम देने का काम किया। डॉ साहु झारखंड लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में भी अपनी भूमिका का निर्वहन कर चुके हैं। डॉ साहु वर्तमान में रांची विश्वविद्यालय के कुलानुशासक और जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के प्रथम डीन के रूप में कार्यरत हैं। नागपुरी काव्य में प्रकृति चित्रण इनकी प्रकाशित शोध पुस्तक है। इसके अलावा इनके शोध आलेख देश के विभिन्न शोध जर्नल व पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो हो चुके हैं। उनका जोर हमेशा अपनी भाषा, माँय माटी के संरक्षण व संवर्द्धन पर लगा रहता है।