♦laharnews.com Correspondent♦
रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के नागपुरी विभाग में शनिवार को डॉ. बीपी केशरी की 90 वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो और धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापिका डॉ सविता केशरी ने किया।
स्व. केशरी ने झारखंड की भाषा-संस्कृति को प्रगाढ़ बनाया: डॉ हरि उरांव
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के समन्वयक डॉ हरि उराँव ने केशरी जी के छात्र व सहयोगी के रूप में बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि झारखंड की भाषा और संस्कृति को प्रगाढ़ बनाने के लिए केशरी जी ने पूरे जोर शोर से काम किया। केशरी जी ने सबसे पहले झारखंड का इतिहास लिखने का काम किया। केशरी जी झारखंड के इतिहासकार के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि केशरी जी की सोच बहुत आला दर्जे की थी। उनके द्वारा भाषा, साहित्य और संस्कृति को मजबूती के साथ साथ दिशा देने का काम किया। उन्होंने कहा कि डॉ केशरी झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश व दुनिया में झारखंडी संस्कृति, भाषा और साहित्य का प्रतिनिधित्व किया।
शिक्षाविद् के साथ-साथ आंदोलनकारी भी थे: डॉ खालिक
मुख्य वक्ता के तौर पर आरएलएसवाई कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ खालिक अहमद ने केशरी जी के साथ बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि वह एक विराट व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे। वह एक कुशल शिक्षाविद के साथ-साथ आंदोलनकारी, साहित्यकार, पत्रकार, इतिहासकार और समाजसेवी थे।
झारखंड आंदोलन को बल मिला: डॉ यूएन तिवारी
विषय प्रवेश कराते हुए नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा कि केशरी जी पूरे समाज को एक साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने पाँत की भावनाओं से ऊपर उठकर काम किया। साहित्यिक आंदोलन छेड़ा और उनकी लेखनी की वजह से झारखंड आंदोलन को बल मिला। इनके नाम के बगैर झारखंड आंदोलन अधूरा होगा। उन्होंने कहा कि साहित्यिक आंदोलन के साथ-साथ राजनीतिक आंदोलन में भी उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
झारखंड आंदोलन को गति मिली थी: डॉ रीझू नायक
सहायक प्राध्यापक डॉ रीझू नायक ने कहा कि केशरी जी सिर्फ साहित्यकार ही नहीं, बल्कि एक आन्दोलनकारी भी थे। विकट परिस्थितियों में झारखंड आंदोलन को को गति प्रदान की। उन्होंने कहा कि डॉ बी पी केशरी जी के व्यक्तित्व से प्रेरित होकर मैं भी राजनीति में आया। समाज सेवा करने का प्रण लिया। केशरी जी के मार्गदर्शन में भाषा साहित्य और झारखंडी संस्कृति को मजबूत करने के लिए पूरे प्रदेश में एक मुहिम चलायी गयी।
पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित करते थे: कुमारी शशि
सहायक प्राध्यापक कुमारी शशि ने कहा कि केशरी जी बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। वह हमेशा विद्यार्थियों को पढ़ने और खूब लिखने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे। केशरी जी की छात्रा के रूप में उनके साथ बिताये पलों को साझा किया।
इनकी रही मौजूदगी
कार्यक्रम में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के डॉ रामकिशोर भगत, किशोर सुरीन, दिनेश कुमार दिनमणी, डॉ उपेन्द्र कुमार, योगेश प्रजापति, सहला सरवर, विक्की मिंज, विजय आनन्द नायक, तनु कुमारी, प्रतिभा कुमारी, प्रिया ठाकुर, दीपिका कुमारी, अनुपा कुजूर, अशोक कुमार, नुतन कुमारी के अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के शोधार्थी और छात्र छात्राएँ मौजूद थे।