♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: पद्मश्री दिवंगत डॉ रामदयाल मुंडा की 83वीं जयंती पर याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। देश और झारखंड को दिये उनके योगदान को याद किया गया। उनके न होने का दर्द भी लोगों के चेहरे पर दिख रहा था। खासतौर से शिक्षा के विकास में उनके योगदान को काफी अहम माना गया। इसी कड़ी में रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र में भी आज पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा की 83वीं जयंती मनायी गयी। विभाग के प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं एवं छात्रों ने डॉ मुण्डा की तस्वीर पर माल्यार्पण उन्हें श्रद्धांजलि दी। संचालन प्राध्यापक किशोर सुरीन और धन्यवाद ज्ञापन करम सिंह मुण्डा ने किया। डॉ नरेन्द्र कुमार दास और भादी प्रकाश उराँव ने गीत प्रस्तुत किये।
झारखंड कल्याण की बात करते थे डॉ रामदयाल मुंडा: डॉ यूएन तिवारी
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा जैसे महान व्यक्ति का सानिध्य मिलना सौभाग्य की बात है। झारखंड की जो परिकल्पना उन्होंने की थी आज उनकी वह परिकल्पना साकार रूप ले रही है। उन्होंने कहा कि डॉ मुण्डा की परिकल्पना थी कि झारखंड के प्रत्येक शिक्षण संस्थान में एक अखड़ा हो, जिससे यहाँ के युवा पीढ़ी का अपनी संस्कृति से जुड़ाव बना रहे। उन्होंने कहा कि डॉ मुंडा ने झारखंड में सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक क्रांति का बिगुल फूंका था। उन्होंने कहा कि वे किसी जाति, धर्म, समुदाय के बारे में नहीं बल्कि पूरे झारखंड कल्याण की बात करते थे।
समन्वय की संस्कृति को प्रगाढ़ किया: रामकिशोर भगत
विषय प्रवेश कराते हुए प्राध्यापक डॉ रामकिशोर भगत ने कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा बगैर किसी भेदभाव के हर वर्ग के व्यक्ति से सहज रूप से उपलब्ध होते थे। अपनी बोली, अपनी संस्कृति के प्रति हमेशा सजग रहे। झारखंड को एक सूत्र में बांधने का काम किया। समन्वय की संस्कृति को प्रगाढ़ किया, क्योंकि संस्कृति हमें एक दूसरे से जोड़ती है। एक छात्र और ड्राइवर के रूप में बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा विराट व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे। छात्रों को अपने बच्चों से भी अधिक स्नेह, दुलार करते थे।
पूरी दुनिया में आदिवासियों को दिलायी पहचान: नलय राय
मुंडारी विभाग के अध्यक्ष नलय राय ने कहा कि डॉ मुण्डा सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक पूरा संस्थान थे। जे नाची से बांची का मूलमंत्र देने वाले ऐसे महामानव की जीवन से हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा ने पूरी दुनिया में आदिवासियों को पहचान दिलायी। आदिवासियों को एक करने, जोड़ने का भी काम किया। उन्होंने कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा ने झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों को एक सूत्र में बांधने का काम किया।
जीवन से प्रेरणा मिलती रहेगी: मनय मुंडा
प्राध्यापक मनय मुण्डा ने पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा द्वारा रचित रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनकी रचनाएँ आदिवासी और मूलवासियों के बीच जागरूकता फैलाती हैं। उनके जीवन से हमें प्रेरणा मिलती रहेगी।
झारखंड के लोगों को एकसूत्र में बांधा: तारकेश्वर सिंह मुंडा
प्राध्यापक तारकेश्वर सिंह मुण्डा ने कहा कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा महान व्यक्तित्व के धनी थे। पूरे झारखंड के लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम किया। वे हम युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं।
इनकी रही मौजूदगी
इस मौके पर प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक, डॉ दमयन्ती सिंकू, दिनेश कुमार दिनमणी, जयप्रकाश उराँव, रमाकांत बीरेन्द्र उराँव, डॉ किरण कुल्लू, अनुराधा मुंडू, प्रेम बास्के, राजकुमार मुर्मू, शकुन्तला बेसरा, रवि कुमार, मानिक कुमार, प्रवीण कुमार सिंह, पप्पू बांडों, धरमा मुण्डा के अलावा अन्य सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र छात्राएँ मौजूद थे।