गरीब किसान का बेटा बना लेखा अधिकारी

♦डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो♦
 रांची: आपने सुना होगा कि जिनके सपनों में उड़ान होती है उनके लिए आसमां भी छोटा पड़ जाता है. कहते हैं कि कभी भी सफलता एक बार में नहीं मिलती है, उसके लिए आपको कई बार असफलता का मुंह भी देखना पड़ता है, लेकिन उससे हार मानकर कभी भी अपने सपनों का अंत नहीं करना चाहिए. सफलता की सीढ़ी तक पहुंचने के लिए आपको कई बार असफलता भी झेलनी पड़ती है लेकिन असली सिकंदर वहीं कहलाता है जिसे हारी बाजी को जीतना आता है. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताएंगे जिसने हमेशा से ही संघर्ष भरा जीवन जिया, लेकिन आज वो जिस मुकाम पर है उसने उसके सभी दुखों को भुला दिया है.
हम बात कर रहे हैं रांची जिले के चुटिया नगरी के कोईरी टोली के रहने वाले धनेन्द्र कुमार की जिनकी कहानी बताना इसलिए जरूरी है क्योंकि धनेन्द्र ने बेहद गरीबी में अपना जीवन गुजारकर मेहनत से साबित कर दिया कि किसी भी मुकाम को हासिल करना आसान होता है.
अक्सर लोग कहते हैं कि पढ़े-लिखे या पैसे वालों के बच्चों को ही बड़ी सरकारी नौकरी मिलती है. लेकिन इस कहावत को एक किसान माता-पिता के बेटे ने तोड़ दिया है. क्योंकि रांची जिले के चुटिया में रहने वाले अनपढ़ मां-बाप ने बेटे का सिलेक्शन जेपीएससी की नगर विकास विभाग के लेखा अधिकारी की परीक्षा में हो गया है. यानी वह लेखा अधिकारी बन गया है. बिना किसी कोचिंग के उसने यह कामयाबी हासिल की है. इससे पहले वह जेपीएससी की मुख्य परीक्षा जैसे बड़ी परीक्षा भी पास कर लगातार तीन बार सफल हो चुका है.
मेहनत, विश्वास और अपने सपनों को पूरा करने का जज्बा जिसके अंदर होता है वो हर परिस्थिति में उनको पूरा कर ही लेता है. अपने सपनों को पूरा करने के लिए मन में बस उनको पूरा करने का हौसला होना चाहिए.
अभावों में कटा बचपन
एक गरीब किसान के बेटे धनेन्द्र की. धनेन्द्र ने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन यापन किया था. अभावों के साथ अपनी जिंदगी बसर की लेकिन उसकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि आज उसने जेपीएससी की नगर विकास की परीक्षा में लेखा अधिकारी बना. धनेन्द्र ने अपनी मेहनत के बल पर ना सिर्फ अपने माता-पिता बल्कि अपने चुटिया नगरी का नाम भी रौशन किया है.
दोस्तों ने की पढ़ाई में मदद
हमेशा अभावों से भरा जीवन जीने वाले धनेन्द्र ने इस परीक्षा को पास करने के लिए बहुत परिश्रम किया था और इसका फल भी उन्हें मिला. धनेन्द्र के पिता राम लखन महतो की बात करें तो वो पेशे से एक किसान हैं, अपनी खुद की जमीन नहीं है. दूसरों के जमीन पर खेती कर परिवार पालते. इनकी मां कलावती देवी बाजार में सब्जियां बेचती है. वहीं धनेन्द्र का बड़ा भाई ज्योति, जो आर्थिक अभाव के चलते पढ़ नहीं सका. फिलहाल एक छोटा सा मोबाईल रिचार्ज का दुकान संभाल रहा है. धनेन्द्र की एक बड़ी बहन है जिसकी शादी हो चुकी है. रांची के संत पौल स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद बड़े भाई और माता-पिता ने पैसे जोड़ कर धनेन्द्र का दाखिला कालेज में कराया था और उसकी पढ़ाई का खर्चा उठाते थे. इतना ही नहीं धनेन्द्र की पढ़ाई में उसके दोस्तों ने भी उसका खूब साथ दिया था. मानसिक और आर्थिक दोनों ही तरीकों से वह धनेन्द्र की पूरी मदद करते थे.

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