झारखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच की गोष्ठी में बही काव्य की धारा

♦Laharnews.com Correspondent♦
 रांची: झारखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच की मासिक काव्य गोष्ठी में सोमवार को यहां काव्य की धारा बही। इस मौके पर कवियों और शायरों ने हास्य,व्यंग्य ,भक्ति, प्रकृति आदि विषयों से संबंधित कविताओं और ग़ज़लों की मोहक प्रस्तुति दी। संस्था के सचिव बिनोद सिंह गहरवार ने मंच संचालन किया तथा गोष्ठी की अध्यक्षता मंच के उपाध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने की। गोष्ठी में नेहाल हुसैन, असित कुमार, गीता सिन्हा गीतांजलि, कामेश्वर सिंह कामेश, हिमकर श्याम, रेणु झा, प्रतिभा सिंह, सूरज श्रीवास्तव,कृष्णा विश्वकर्मा,राज रामगढी, सुनीता कुमारी, अभिषेक अब्र, ऋतुराज वर्षा, डॉ.निराला पाठक, खुशबू वर्णवाल और वैद्यनाथ मिश्र ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। हिमकर श्याम ने अपनी ग़ज़ल नई होती हैं उम्मीदें, दिसम्बर ख़त्म होता है  सुनाई। गीता सिन्हा ने मां तू तो है ममता का समुंदर, वैद्यनाथ मिश्र ने मनुष्य तुम बढ़े चलो , कृष्णा विश्वकर्मा ने मोहब्बत में वो मुकाम आया है, ऋतुराज वर्षा ने छूने का अहसास क्या होता है , डॉ अभिषेक ने इत्र की शीशी कविता का पाठ किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में निरंजन प्रसाद ने आज की कविता के बारे में बोलते हुए नए रचनाकारों को अधिक पढ़ने और कम लिखने की सलाह दी। कार्यक्रम का संचालन सचिव बिनोद कुमार गढ़वाल और धन्यवाद ज्ञापन वैद्यनाथ मिश्र ने किया। इस अवसर पर विजय कुमार राजगड़िया, संजय कुमार वर्मा, बी के सहाय आदि उपस्थित थे ।

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