♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से आज यहां प्रथम अधिवेशन व विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी में वक्ताओं की ओर से राष्ट्र के विकास में साहित्य का योगदान विषय पर विचार रखे गये। वक्ताओं ने कहा कि साहित्य के बगैर राष्ट्र के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। इतिहास गवाह है कि देश के विकास में साहित्य की भूमिका अहम रही है। साहित्य की भूमिका को राष्ट्र विकास में नकारा नहीं जा सकता है।
इससे पहले अधिवेशन का उद्घाटन गोपालजी प्रांत प्रचारक (झारखंड) ने किया। इसकी अध्यक्षता कोल्हान विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डा. कामिनी कुमार ने की। मुख्य अतिथि डा. शुशील चंद्र त्रिवेदी (राष्ट्रीय अध्यक्ष) विशिष्ट अतिथि ऋषी कुमार मिश्रा , डा. पवनपुत्र बादल राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री , राजीव कमल बिटटू( प्रांत संपर्क प्रमुख) ने भी अपने विचार रखे। इस अधिवेशन में झारखंड के 16 जिलों के प्रखंड से परिषद पदधारी, विश्वविद्यालयों के छात्र, शिक्षक एवं अनेक शिक्षण संस्थान के निदेशक व प्राचार्य शामिल हुए।
किसने क्या कहा
♦ राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चंद्र त्रिवेदी ने कहा- राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत हमे जन -जन को जोड़ने का सशक्त माध्यम है।
♦ राष्ट्रीय महामंत्री ऋषी कुमार मिश्रा ने संगठनात्मक विवरण देते हुए बाताया किया कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् मात्र संस्था नही संगठन है। और हमारे संगठन में पद नही होता दायित्व होता है, जिसका निर्वहन हम करेंगे।
♦ प्रांत प्रचारक राजीव कमल बिटटू ने कहा- समाज के निर्माण के लिये संवाद जरूरी है। संवाद से साहित्य, समाज व संस्कृति सभी का सशक्त होते हैं।
♦गोपाल (प्रांत प्रचारक ) ने कहा, साहित्य एक वटवृक्ष के समान है। विचारों की संगम स्थली है।
♦ प्रतिकुलपति डॉ. कामनी कुमार ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा -बिना साहित्य के राष्ट्र संभव नहीं है।
संचालन मनीषा सहाय एवं सोनी सुगन्धा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विजय प्रकाश ने किया।