रांची : आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा प्रकाशित स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक नियमावली- 2016 युक्तिसंगत नहीं है। इस सिलसिले में उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने अभ्यर्थियों से प्राप्त अभ्यावेदन का हवाला दिया है।
आजसू सुप्रीमो ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को लिखा पत्र, कहा – मामला गंभीर, शीघ्र कदम उठायें
अभ्यर्थियों के हवाले से कहा कि परीक्षा के लिए विषयों का मेल विश्वविद्यालय में पढ़ाये जाने वाले विषयों के अनुकुल नहीं है। झारखण्ड के सभी विश्वविद्यालयों में इतिहास प्रतिष्ठा के साथ नागरिकशास्त्र तथा नागरिकशस्त्र प्रतिष्ठा के साथ इतिहास विषय लेने की अनिवार्यता नहीं है। झारखण्ड के सारे विश्वविद्यालयों में इतिहास प्रतिष्ठा लेने पर निम्नलिखित सहायक विषय-भुगोल, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, हिन्दी, नागरिक शास्त्र इत्यादि लगभग, 16 विषयों में कोई 2 विषय लेने की अनिवार्यता है। इसी प्रकार नागरिक शास्त्र प्रतिष्ठा लेने पर उपरोक्त 16 सहायक विषयों में से कोई 2 विषय लेने की छूट है, जबकि कर्मचारी चयन आयोग की ओर से प्रकाशित विज्ञप्ति में इतिहास के साथ नागरिक शास्त्र और नागरिक शास्त्र के साथ इतिहास होने की बाध्यता रखी गई है। विज्ञान के विषयों के साथ भी कमोबेश ऐसी ही समस्या है। नियुक्ति में अरबी, फरसी, उर्दू एवं संस्कृत में एमए को प्राथमिकता देने का प्रावधान है, जबकि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं में एमए को कोई प्राथमिकता नहीं दी गई है। अभ्यार्थियों ने अपने अभ्यावेदन में इस बात की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया है कि नियुक्तियों में पूरे राज्य में एक ही तरह की स्थानीय नीति अपनायी जाय।
सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री से कहा है कि मामला गंभीर है और तत्काल इस पर संज्ञान लेने की जरूरत है। कहा कि सरकार की जिम्मेवारी बनती है कि राज्य में लिए जाने वाले सभी निर्णय झारखण्ड के आदिवासी-मूलवासी छात्रों एवं युवाओं के हित में हो। उन्होंने आरोप लगाया कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के द्वारा सरकार को गुमराह किया जा रहा है, ताकि आदिवासी-मूलवासी छात्रों व युवाओं को उनके हक और अधिकार से वंचित किया जा सके।