♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची : रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में क्रांतिकारी वीर बुधु भगत की जयंती मनायी गयी। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ हरि उराँव, संचालन डॉ उमेश नन्द तिवारी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ किशोर सुरिन ने किया। डॉ हरि उराँव ने कहा कि वीर बुधु भगत छोटानागपुर के पहले क्रांतिकारी थे जिसे पकड़ने के लिए अंग्रेज सरकार ने 1000 रुपये का ईनाम रखा था। चान्हो प्रखण्ड के सिलगाई गाँव में जन्मे वीर बुद्धू भगत से अंग्रेज खौफ में रहते थे। हमारा झारखंड शहीदों की भूमि है।
नागपुरी विभाग के प्राध्यापक डॉ रीझू नायक ने कहा कि हम सबों को ऐसे शहीदों के जीवन से सीख लेनी चाहिए। हमें भी जुल्म और अत्याचार के प्रति उलगुलान करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने वीर बुद्धू भगत की बेटी रूनु झुनू को भी शहीद का दर्जा देने की मांग सरकार से की।
कुड़ुख विभाग के प्राध्यापक प्रो धीरज उराँव ने शहीद क्रांतिकारी वीर बुधु भगत की जीवन से जुड़ी हुई कई घटनाओं पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के प्राध्यापक डॉ मेरी एस सोरेंग, प्रो मनय मुण्डा, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक, तारकेश्वर सिंह मुण्डा, राजकुमार बास्के, प्रेम मुर्मू, बीरेन्द्र उराँव, शकुन्तला बेसरा, जयप्रकाश उराँव, धीरज उराँव, करम सिंह मुंडा, प्रभा हेमरोम, बसंती देवी, राजकुमार के अलावा कई अन्य सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र छात्राएँ मौजूद थे।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में भी वीर बुधु भगत की जयंती मनायी गयी।