♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची : झारखंड की हेमंत सरकार ने 1932 के खतियान आधारित बनी नियोजन नीति को वापस ले लिया है। इस नियोजन नीति को झारखंड हाईकोर्ट ने भी असंवैधानिक घोषित कर दिया था। सरकार ने 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति को रद्द करने से पहले राज्य के युवाओं से भी विकल्प पूछा था। राज्य सरकार का मानना है कि 73 फीसदी युवा चाहते हैं कि 2016 से पहले वाली नियोजन नीति पर नियुक्ति शुरू होनी चाहिए।
राजभवन ने लौटाया था प्रस्ताव
राज्य सरकार ने खतियान आधारित नियोजन नीति पर अंतिम निर्णय लेते हुए विधानसभा से विधेयक पारित कर राज्यपाल के पास भेजा था। राज्य सरकार का इस संदर्भ में स्पष्ट मानना था कि 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति एवं पिछड़े वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के विषय को संविधान की 9वीं अनुसूची का संरक्षण मिल जाने के बाद ही बहाल किया जाए। इन परिस्थितियों में जब राज्यपाल द्वारा राज्य सरकार का प्रस्ताव वापस कर दिया गया। ऐसे में एक तात्कालिक कदम की जरुरत को महसूस करते हुए राज्य के युवाओं से इस संबंध में राय ली गई। क्योंकि पूर्व की सरकार के समय लाई गयी 13/11 वाली नियोजन नीति को भी न्यायालय द्वारा रद्द करने का आदेश पारित किया जा चुका था।