♦Laharnews.com Correspondent♦
रांची : प्रख्यात मानवशास्त्री और पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ करमा उरांव के निधन पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय (टीआरएल) में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। इसकी अध्यक्षता टीआरएल के समन्वय डॉ हरि उरांव ने की।
इस मौके पर डॉ हरि उराँव ने डॉ करमा उराँव के जीवन संघर्ष के बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा – डॉ करमा ने बगैर कोई भेदभाव के झारखंडी समाज का हमेशा नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि बिशनपुर जैसे सुदूर गांव के सरकारी स्कूल से पढ़कर रांची विश्वविद्यालय में अध्यापन के लिए वह यहां आये थे। इस वजह से वह यहां की जमीनी हकीकत से वाकिफ थे। वह कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए। वह महान शिक्षाविद, प्राध्यापक और चिंतक थे, जो सदैव रांची विश्वविद्यालय और समाज के सभी वर्गों के हित के लिए संघर्ष करते रहे।
टीआरएल संकाय के अन्य शिक्षकों ने भी अपनी अपनी बातें रखीं और डॉ करमा उराँव के साथ बिताये पलों को साझा किया। मुख्य रूप से डॉ उमेश नन्द तिवारी, डॉ मेरी एस सोरेंग, कुमारी शशि, डॉ महेश्वर सारंगी, मनय मुण्डा, डॉ किशोर सुरिन, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक, तारकेश्वर सिंह मुंडा, वीरेंद्र उरांव, प्रेम मुर्मू, राजकुमार बास्के, डॉ वीरेंद्र कुमार सोय ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर संकाय के प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।